सुप्रीम कोर्ट ने 1.47 लाख करोड़ के एजीआर मामले में सुनवाई करते हुए टेलीकॉम कंपनी और केद्र सरकार की रवैये पर कड़ी नराजगी जताई है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अधिकतर टेलीकॉम कंपनियों ने बकाया रकम जमा नहीं कार्रवाई है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पुछा कि क्यों न आपके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए ? इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या इस देश में कोई कानून नहीं बचा है ? कोर्ट ने अपनी नाराजगी जताते हुए टिप्पणी करते हुए कहा कि इस देश में रहने से बेहतर है कि इसे छोड़कर चले जाना चाहिए.
भुगतान के लिए मोहलत देने से इनकार
24 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को 23 जनवरी तक बकाया राशि जमा करने का आदेश दिया था. जिसको लेकर टेलीकाम कंपनियों ने फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की थी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी. इसके बाद भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और टाटा टेली ने भुगतान के लिए और अधिक मोहलत देने के लिए नया शेड्यूल तय करने की अपील की थी. जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया.
कंपनियों के एमडी को 17 मार्च को पेशी के आदेश
गौरतलब है कि एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू के आधार पर स्पेक्ट्रम और लाइसेंस फीस के 1.47 लाख करोड़ रुपए बकाया हैं, उनमें से सिर्फ रिलायंस जियो ने करीब 195 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान किया है. इस पर जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने भारती एयरटेल, वोडाफोन, एमटीएनएल, बीसीएनएल, रिलायंस कम्युनिकेशंस, टाटा टेलीकम्युनिकेशंस और अन्य के मैनेजिंग डायरेक्टर्स से 17 मार्च को पेश होने को कहा है.
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