दिल्ली में मांझी, सहनी, कुशवाहा के साथ PK की बैठक में नहीं बनी बात, महागठबंधन की मदद करने से पीके का इनकार

 

बिहार में 2020 में विधानसभा का चुनाव होना है. इसको लेकर बिहार में सियासी सरगर्मियां बढ़ गयी है. जेडीयू से निकाले जाने के बाद राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर बिहार चुनाव को लेकर काफी सक्रिय हो गए है. बिहार में पीके के एंट्री से अचानक राजनीतिक हलचलें तेज हो गई है.

प्रशांत किशोर के पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने 30 मिनट तक मुलाकात की थी आगे की रणनीति पर चर्चा की थी. आज एक बार फिर से उपेन्द्र कुशवाहा,जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी ने वरिष्ठ नेता शरद यादव से मुलाकात की है- चारो नेता एक साथ बैठक कर आगे की रणनीति तैयार करने में जुटे हैं. राजद-कांग्रेस के बिना अन्य छोटे दलों की राजनीतिक खिचड़ी में प्रशांत किशोर की भी भूमिका लगती है. प्रशांत किशोर ने महागठबंधन के इन नेताओं से बैठक कर चुके हैं. हालांकि उनकी आगे की रणनीति क्या होगी इसका खुलासा नहीं कर रहे- सूत्रों का दावा है कि किशोर ने इस बैठक में साफ कर दिया कि वे महागठबंधन के नेताओं की कोई मदद नहीं करेंगे.

‘बात बिहार की’ अभियान से जुड़ने का न्योता

गौरतलब है कि प्रशांत किशोर ने ’बात बिहार की’ नाम से अभियान शुरू किया है, जिसके बाद उनके महागठबंधन के साथ जुड़ने की चर्चाएं थी बताया गया कि बैठक में बिहार की सियासत पर चर्चा हुई है. बैठक में प्रशांत किशोर ने इन नेताओं से कहा कि अगर वे लोग उनसे जुड़ना चाहते हैं, तो जुड़ सकते हैं. पीके ने तीनों नेताओं से यह भी कहा कि वे बिहार की बेहतरी के लिए काम करेंगे और फिलहाल कोई पार्टी बनाने नहीं जा रहे हैं.

बिहार में शुरू किया ’बात बिहार की’ कार्यक्रम

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार में ’बात बिहार की’ कार्यक्रम उर्फ पीके के कार्यक्रम की शुरूआत की है. इसकी शुरूआत के बाद से ही उन्हें काफी सकारात्मक सपोर्ट मिल रहा है. इसकी शुरूआत 20 फरवरी को हुई थी. बताया जा रहा है कि कार्यक्रम से जुड़ने वालों की संख्या 3 लाख 32 हजार को पार कर गई थी