राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर राज्यपालों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया है। सरकार की ओर से 29 जुलाई को नई शिक्षा नीति का एलान किया गया। इस नीति पर अभी भी मंथन जारी है। पीएम मोदी ने कहा कि शिक्षा नीति में सरकार का प्रभाव कम होना चाहिए। वहीं, राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति इक्कीसवीं सदी की आवश्यकताओं व आकांक्षाओं के अनुरूप देशवासियों को, विशेषकर युवाओं को आगे ले जाने में सक्षम होगी।
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने क्या कहा…
पीएम मोदी ने कहा, देश की आकांक्षाओं को पूरा करने का महत्वपूर्ण माध्यम शिक्षा नीति और शिक्षा व्यवस्था होती है। शिक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी से केंद्र, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय, सभी जुड़े होते हैं। लेकिन ये भी सही है कि शिक्षा नीति में सरकार, उसका दखल, उसका प्रभाव, कम से कम होना चाहिए। उन्होंने कहा, शिक्षा नीति से जितना शिक्षक, अभिभावक और छात्र जुड़े होंगे, उतना ही उनकी प्रासंगिकता और व्यापकता, दोनों ही बढ़ती है। देश के लाखों लोगों ने, शहर में रहने वाले, गांव में रहने वाले, शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों ने, इसके लिए अपना फीडबैक दिया था।
पीएम ने कहा, गांव में कोई शिक्षक हो या फिर बड़े-बड़े शिक्षाविद, सबको राष्ट्रीय शिक्षा नीति, अपनी शिक्षा नीति लग रही है। सभी के मन में एक भावना है कि पहले की शिक्षा नीति में यही सुधार तो मैं होते हुए देखना चाहता था। ये एक बहुत बड़ी वजह है। उन्होंने कहा, आज दुनिया भविष्य में तेजी से बदलती नौकरियों, काम के तरीकों को लेकर चर्चा कर रही है। ये पॉलिसी देश के युवाओं को भविष्य की आवश्यकताओं के मुताबिक ज्ञान और कौशल, दोनों मोर्चों पर तैयार करेगी।
उन्होंने कहा, नई शिक्षा नीति, पढ़ने के बजाय सीखने पर फोकस करती है और पाठ्यक्रम से और आगे बढ़कर गहन सोच पर जोर देती है। इस पॉलिसी में प्रक्रिया से ज्यादा जुनून, व्यावहारिकता और प्रदर्शन पर बल दिया गया है।
राष्ट्रपति कोविंद ने संबोधन में क्या कहा…
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, परामर्शों की अभूतपूर्व और लंबी प्रक्रिया के बाद तैयार की गई है। मुझे बताया गया है कि इस नीति के निर्माण में, ढाई लाख ग्राम पंचायतों, साढ़े बारह हजार से अधिक स्थानीय निकायों तथा लगभग 675 जिलों से प्राप्त दो लाख से अधिक सुझावों को ध्यान में रखा गया है। उन्होंने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति इक्कीसवीं सदी की आवश्यकताओं व आकांक्षाओं के अनुरूप देशवासियों को, विशेषकर युवाओं को आगे ले जाने में सक्षम होगी। यह केवल एक नीतिगत दस्तावेज नहीं है, बल्कि भारत के शिक्षार्थियों एवं नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिबिंब है।
कोविंद ने कहा, 1968 की शिक्षा नीति से लेकर इस शिक्षा नीति तक, एक स्वर से निरंतर यह स्पष्ट किया गया है कि केंद्र व राज्य सरकारों को मिलकर सार्वजनिक शिक्षा के क्षेत्र में जीडीपी के 6 प्रतिशत निवेश का लक्ष्य रखना चाहिए। 2020 की इस शिक्षा नीति में इस लक्ष्य तक शीघ्रता से पहुंचने की अनुशंसा की गई है। उन्होंने कहा, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में यह स्पष्ट किया गया है कि सार्वजनिक शिक्षा प्रणाली ही जीवंत लोकतांत्रिक समाज का आधार होती है। अतः सार्वजनिक शिक्षण संस्थानों को मजबूत बनाना अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने कहा, शिक्षा व्यवस्था में किए जा रहे बुनियादी बदलावों में शिक्षकों की केंद्रीय भूमिका रहेगी। इस शिक्षा नीति में यह स्पष्ट किया गया है कि शिक्षण के पेशे में सबसे होनहार लोगों का चयन होना चाहिए तथा उनकी आजीविका, मान-मर्यादा और स्वायत्तता को सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा, स्कूली शिक्षा को मजबूत आधार देने के लिए 2021 तक, इस शिक्षा नीति पर आधारित, टीचर्स एजुकेशन का एक नवीन और व्यापक पाठ्यक्रम तैयार करने का लक्ष्य है। टीचर्स एजुकेशन, उच्च शिक्षा का अंग है। अतः राज्य स्तर पर आप सबको टीचर्स एजुकेशन से जुड़े अत्यंत महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त करना है।
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