बालिका गृह से गायब चार लड़कियों के मामले की जांच के नाम पर बीते 41 माह में अबतक नगर थाने के चार आईओ को बदला जा चुका है। लेकिन पुलिसिया कार्रवाई एफआईआर से आगे नहीं बढ़ पाई है। गायब चार लड़कियों में दो का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। बालिकागृह के रजिस्टर में यहां तक की दोनों लापता लड़कियों के नाम-पते भी गलत अंकित किये गये थे। तीन साल से अधिक समय बीतने के बावजूद इस कांड में पुलिस की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ने से पुलिस सवालों के कठघरे में खड़ी नजर आने लगी है।
पटना के गायघाट उत्तर रक्षा गृह को लेकर हाल में उठे मामले के बाद इस कांड की एसएसपी जयंतकांत ने समीक्षा की है। नगर डीएसपी रामनरेश पासवान से मामले में प्रोग्रेस रिपोर्ट मांगी गई है। बालिकागृह कांड के दौरान तत्कालीन एसएसपी हरप्रीत कौर ने बालिकागृह के रजिस्टर की जांच की थी, जिसमें 2013 में चार किशोरियों के पलायन का जिक्र था। लेकिन इस संबंध में बालिकागृह प्रबंधन या समाज कल्याण विभाग की ओर से थाने में कोई एफआईआर दर्ज नहीं करायी गई थी ।
पलायन करने वाली किशोरियों में उत्तरप्रदेश के इटावा, नई दिल्ली के पहाड़गंज, एक मधबुनी के फुलपरास और मुजफ्फरपुर के अहियापुर की बालिकाएं शामिल थीं। उधर, बालिकागृह की किशोरियों ने दुष्कर्म के बाद दो किशोरियों की हत्या कर दी जाने का 164 के तहत बयान दिया था। ऐसी स्थिति में पलायन करने वाली चारों किशोरियों के संबंध में उनके गायब होने के पांच साल के बाद पुलिस ने जांच शुरू की। तत्कालीन एसएसपी ने पुलिस लाइन से एएसआई योगेंद्र महतो को चारों किशोरियों के गृह पते पर जाकर छानबीन करने का आदेश जारी किया था।
योगेंद्र महतो ने छानबीन के बाद रिपोर्ट दी कि उत्तर प्रदेश के इटावा की किशोरी लखनऊ के मोतीनगर स्थित राजकीय पाश्चावर्ती गृह में मिली । अहियापुर की किशोरी का विवाह हो चुका था। नई दिल्ली के पहाड़गंज और फुलपरास की किशोरी का कोई सुराग नहीं मिला। उस नाम की कोई किशोरी के होने की जानकारी भी मोहल्ला के लोगों ने पुलिस को नहीं दी। इस तरह एएसआई योगेंद्र महतो की रिपोर्ट के आधार पर नगर थाने में 2 अगस्त 2018 को एफआईआर दर्ज की गई।
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