पाकिस्तान के सियासत से आज बोल्ड हो जायेंगे इमरान, बोल्ड होने से पहले लिया बड़ा फैसला, पंजाब प्रांत के राज्यपाल को पद से हटाया।

पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार बचेगी या यह नहीं। इसका फैसला आज यानी रविवार को हो जाएगा। वहीं, अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से पहले इमरान सरकार एक्शन में आ गई है। पीएम इमरान खान ने पंजाब प्रांत के राज्यपाल को पद से हटा दिया है। बता दें, आज पाकिस्तान की संसद में प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा होगी। वहीं, रेडियो पाकिस्तान के हवाले से खबर है कि, पीएम इमरान खान ने अविश्वास प्रस्ताव की कार्यवाही के दौरान तहरीक-ए-इंसाफ के विधायकों से आज नेशनल असेंबली में जाने का आग्रह किया है।

क्या कहते हैं पाकिस्तान के लोकसभा आंकड़े?

गौरतलब है कि इमरान खान अभी तक अपनी सरकार बचाने के लिए जरूरी 172 सांसदों का समर्थन जुगाड़ नहीं कर पाए हैं। हालांकि, गुरुवार शाम को उन्होंने पाकिस्तान को संबोधित करते हुए कहा था कि जो उन्हें इस्तीफा देने की सलाह दे रहे हैं, उन्हें जानना चाहिए कि वे क्रिकेटर रहे हैं और आखिरी बॉल तक खेलते हैं।

क्या है पाकिस्तान की संसद का अंकगणित?

कुल सांसद 342
बहुमत का आंकड़ा 172
इमरान के समर्थक सांसद 164
संयुक्त विपक्ष 177

कैसे तैयार हुई इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की पृष्ठभूमि:

इमरान की कुर्सी पर विपक्ष की नजर तो शुरू से ही थी। लेकिन इसकी असल कहानी एक मीटिंग से शुरू हुई। करीब दो महीने पहले पांच फरवरी को बिलावल भुट्टो जरदारी और उनके पिता आसिफ अली जरदारी ने मरियम शरीफ और शहबाज शरीफ से उनके घर जाकर मुलाकात की। इसमें मरियम ने अपने पिता और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बात फोन पर आसिफ अली जरदारी से करवाई। मुलाकात के बाद दोनों पार्टियों ने इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का एलान कर दिया।

कम होते नही दिख रही इमरान खान की मुसीबतें।

अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होने से पहले चर्चा में वह गुप्त चिट्ठी आ गयी है, जिसको इमरान ने अपने आखिरी दांव की तरह मीडिया के सामने रखा था। इमरान ने यह चिट्ठी पत्रकारों को कुछ दूरी से ही दिखायी थी, लेकिन सरकार के कानूनी सलाहकारों ने भी इमरान को चेतावनी दी है कि विदेशी कार्यालय के दस्तावेज साझा करने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

पाकिस्तान में राजनयिक गुप्त दस्तावेज, आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम, 1923 के दायरे में आता है। इसे न तो भेजने वाला और न ही रिसीव करने वाला साझा कर सकता है। अगर प्रधानमंत्री इस राजनयिक दस्तावेज को साझा करते हैं, तो यह उनकी शपथ का उल्लंघन माना जायेगा और उन्हें संविधान के आर्टिकल-62 के तहत आजीवन अयोग्य घोषित किया जा सकता है।