G-7 का ग्लोबल कॉरपोरेट टैक्स पर बड़ा फैसला, दुनिया के सबसे अमीर देशों ने गूगल, फेसबुक, एप्पल को दिया जोर का झटका- जानें क्या है पूरा मामला

कोरोना संक्रमण का असर दुनिया के कई बड़े देशों की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। ऐसे में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के तौर पर देखे जाने वाले अमेरिका समेत ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, इटली, कनाडा और फ्रांस जो कि जी-7 समूह के देश हैं। इन सभी 7 सबसे अमीर देशों के वित्त मंत्रियों ने शनिवार को ग्लोबल टैक्स सिस्टम में संशोधन करने का फैसला लिया है। G-7 समूह ने गूगल, फेसबुक, एपल और अमेजन जैसी बड़ी अमेरिकी कंपनियों पर 15 फीसदी तक टैक्स लगाने के लिए ऐतिहासिक वैश्विक करार पर हस्ताक्षर किए हैं।

अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, इटली समेत दुनिया के साथ सबसे अमीर देशों के वित्त मंत्रियों ने शनिवार को दुनिया के टैक्स सिस्टम में संशोधन का फैसला किया। इससे कोविड-19 महामारी से बाद की स्थितियों से निपटने के लिए सरकारों को सैकड़ों अरब डॉलर की अतिरिक्त आय होगी। ब्रिटेन के वित्त मंत्री ऋषि सुनक ने कहा कि जी 7 देशों के बीच डिजिटल एज में हुए इस समझौते के दूरगामी परिणाम सामने आएंगे। इससे दुनिया की आर्थिक स्थिति सुधरेगी और तरक्की की नई बयार बहेगी। महामारी के दौर में पहली बार जी 7 देशों के वित्त मंत्रियों ने आमने-सामने बैठकर बात की। लंदन में हुई इस बैठक की अध्यक्षता सुनक ने की।

उल्लेखनीय है कि कोरोना वैश्विक महामारी के दौर में पहली बार G-7 देशों के वित्त मंत्रियों ने आमने- सामने बैठकर बात की। जी ग्रुप के देशों के वित्त मंत्रियों की बैठक की अध्यक्षता ऋषि सुनक ने की। बैठक में अमेरिका के वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने कहा, “यह समझौता महत्वपूर्ण और अप्रत्याशित है। यह वैश्विक कर व्यवस्था के निचले स्तर को खत्म करेगा।” G-7 देशों के बीच ग्लोबल टैक्स सिस्टम को लेकर हुए इस समझौते के मुताबिक,ग्लोबल कॉरपोरेट टैक्स कम से कम 15% होगा।

शिखर बैठक में लगेगी मुहर

वित्त मंत्रियों की यह बैठक जी-7 के नेताओं की सालाना शिखर बैठक से पहले हुई है। इस करार पर जी7 की शिखर बैठक में मुहर लगेगी. शिखर सम्मेलन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बॉरिस जॉनसन की अध्यक्षता में 11-13 जून तक कोर्नवाल में आयोजित किया जाएगा. ब्रिटेन दोनों बैठकों की मेजबानी कर रहा है। जी-7 पर कम आय वाले देशों को टीका उपलब्ध कराने के लिए दबाव पड़ रहा है. टैक्स के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय चर्चा अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा वैश्विक 15 फीसदी के टैक्स रेट के विचार को समर्थन के बाद शुरू हुई थी।