दुनिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग बिहार में हो रहा है निर्मित, आज से शुरू हुआ विराट रामायण मंदिर का निर्माण।

कल्याणपुर के कैथवलिया में प्रस्तावित विराट रामायण मंदिर के निर्माण का कार्य मंगलवार यानी कि आज से शुरू होने जा रहा है। अक्षय तृतीया व मंगलवार (रामभक्त बजरंग बली का दिन) के संयोग को देखते हुए मंदिर निर्माण के लिए आज का मंगलकारी दिन चयनित किया गया है।

कैसा होगा मंदिर का स्वरूप?

इस मंदिर में दुनिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग स्थापित होगा, जिसका वजन करीब 130 मिट्रिक टन होगा। इसके साथ परिसर में कुल 12 मंदिर, चार आश्रम व श्रद्धालुओं के लिए धर्मशाला का भी निर्माण किया जाएगा। सभी मंदिर अक्षय अंक नौ के गुणक में बनाए जाएंगे। मुख्य मंदिर की ऊंचाई 270 फीट एवं चौड़ाई 540 फीट तथा फर्श का क्षेत्रफल 1080 फीट होगा। जबकि अन्य मंदिर 180 फीट तक ऊंचे बनेंगे।

क्या कहते हैं आचार्य किशोर कुणाल?

मंदिर निर्माण से जुड़ी जानकारियों को साझा करते हुए आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि केरल के कन्याकुमारी से 130 फीट से ज्यादा ऊंची चट्टान लाकर महाबलीपुरम में उसे शिवलिंग का स्वरूप दिया जा रहा है। यह शिवलिंग ग्रेनाइट के पत्थर से बनाया जा रहा है, जो सहस्त्र लिंगम होगा। यह शिवलिंग 33 फीट ऊंचा तथा इसकी गोलाई 33 फीट होगी।

कितने लागत से और कितनी ऊंची शिवलिंग का हो रहा है निर्माण?

विराट् रामायण मंदिर, बिहार के पूर्वी चम्पारण के चकिया – केसरिया नगर के निकट जानकीपुर में बन रहा एक आगामी मंदिर है जिसे पटना की महावीर स्थल न्यास समिति (महावीर मंदिर न्यास) नामक संस्था द्वारा बनाया जा रहा है। कम्पूचिया के अंकोरवाट की रचना की तर्ज पर आधारित इस मंदिर को अंकोरवाट की दुगनी ऊँचाई एवं आकार का बनाए जाने की योजना है। इस मंदिर-समूह में कुल 18 देवताओं के मंदिर होंगे जिनमें मुख्य आराध्य भगवान राम होंगे। आकार में इस मंदिर का प्रमुख शिखर अंकोरवाट (जो 215 फ़ुट ऊंचा है) से करीब दुगना, 405 फ़ुट ऊंचा होगा। इसके साथ ही, यह 200 एकड़ के क्षेत्र पर फैला होगा। इस आकार के साथ, पूर्ण होने पर यह विश्व की सबसे बड़ा धार्मिक संरचना होगी। इस निर्माणकार्य की कुल लागत ₹500 करोड़ होगी। इस मंदिर के परिसर में 20,000 लोग एक साथ प्रभु श्री राम के दर्शन कर पाएंगे।

क्यों पड़ा मंदिर का नाम विराट रामायण मंदिर?

मंदिर के निर्माण के शुरुवाती दौर में इस मंदिर का नाम विराट अंकोरवाट मंदिर रखा गया था। इसकी योजना के आन्वरण एवं प्रचलित चर्चा होने के बाद, कम्बोडियाई सरकार ने इस मंदिर के नाम को असल अंगकेर वात की नकल होने पर भारत सरकार से अपनी आपत्ति व चिन्ता जताई। इसके बाद भारत सरकार द्वारा रोक के बाद इस मंदिर के नाम को बदल कर इसे विराट रामायण मंदिर का नाम दे दिया गया।

इस मंदिर के निर्माण को लेकर कंबोडियाई सरकार ने क्यों जताया विरोध?

कम्पूचिया (कम्बोडिया) में स्थित अंकोरवाट मंदिर विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर, सबसे बड़ा धर्मस्थल एवम् सबसे सूप्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। उसकी भव्यता एवं गौरव को देखने के लिए वहां हर वर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं। साथ ही वह कम्बोडिया के लिये विदेशी मुद्रा कमाने का एक प्रमुख स्रोत भी है। भारत में इसका प्रतिरूप बनने से कम्बोडियाई सरकार को इस बात से चिन्ता थी की इससे अंकोरवाट की लोकप्रियता पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। इसी कारण कम्बोडियाई सरकार ने इस मंदिर के निर्माण का विरोध किया था। इस विरोध के उत्तर में भारत सरकार के निर्देशतः मंदिर के नाम समेत, इस परियोजना में अन्य काफी बदलाव भी किये गए हैं।