दरभंगा ब्लास्ट : पाकिस्तान में बैठे आईएसआई के हैंडलर की, सिकंदराबाद-दरभंगा एक्सप्रेस को बर्निंग ट्रेन बनाकर हजारों यात्रियों की जान लेने की थी साजिश, जानिए पूरा मामला

person wearing mask holding colored smoke bomb

सिकंदराबाद-दरभंगा एक्सप्रेस में पार्सल बुक कर उसमें ब्लास्ट कर बर्निंग ट्रेन बनाने की साजिश पाकिस्तान से रची गई थी। पाकिस्तान में बैठे आईएसआई के हैंडलर इकबाल काना ने कैराना के हाजी सलीम उर्फ सलीम अहमद को यह जिम्मेदारी सौंपी थी। सलीम ने कफील और हैदराबाद में बैठे नासिर और इमरान खान को अपने साथ लिया। गनीमत रही कि चलती ट्रेन के बजाए पार्सल में उतारते समय विस्फोट हुआ।

कैराना के मोहल्ला आलखुर्द निवासी हाजी सलीम और कफील से एनआईए ने लंबी पूछताछ की है। सूत्रों का कहना है कि हाजी सलीम के संबंध पाकिस्तान में आईएसआई के लिए काम कर रहे इकबाल काना से थे। उसके इशारे पर ही सलीम ने सिकंदराबाद से दरभंगा जाने वाली ट्रेन में पार्सल में विस्फोटक (लिक्विड आईईडी) रखने की जिम्मेदारी ली थी।

उसे हिदायत मिली थी कि वह इस काम में हैदराबाद में रह रहे कैराना के दो भाइयों नासिर और इमरान खान का भी सहयोग ले। सलीम ने कफील के साथ ही नासिर और इमरान खान को अपने साथ मिलाया।

सूत्रों का कहना है कि नासिर ने लेडीज सूट के पार्सल में विस्फोटक रखकर नासिर और इमरान की सहायता से ट्रेन में रखवा दिया। बम कम ताकत था। उसे केवल पार्सल में आग लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाना था। इससे पार्सल की बोगी में आग लग जाती और तेज रफ्तार से चल रही पूरी ट्रेन में फैल जाती। सिकंदराबाद-दरभंगा एक्सप्रेस को बर्निंग ट्रेन बनाकर हजारों यात्रियों की जान लेने की यह पूरी साजिश थी। गनीमत रही कि पार्सल में ब्लास्ट ट्रेन में न होकर स्टेशन पर उतारते समय हुआ।

1995 में पाकिस्तान भाग गया था इकबाल काना

कैराना के मूल निवासी इकबाल काना ने पाकिस्तान में अपना नेटवर्क खड़ा कर लिया है। वह शुरुआत में सोने की तस्करी और बाद में नकली नोटों और असलहा का कारोबार करता था। 1995 में पुलिस का दबाव बढ़ने व इकबाल अपने परिवार के साथ पाकिस्तान भाग गया था। वह पाकिस्तान में अपनी रिश्तेदारी में जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों से संपर्क करता रहा है। सलीम भी इकबाल के संपर्क में था।

पार्सल पर लिखा गया था सलीम का नंबर

दरभंगा एक्सप्रेस ट्रेन में रखे गए पार्सल पर सलीम का नंबर लिखा गया था। शामली जिले का नंबर मिलने के बाद जांच एजेंसियां जिले में सक्रिय हो गईं थीं। सूत्रों का कहना है कि सलीम और कफील को जांच एजेंसियों ने कई दिन पहले हिरासत में ले लिया था। कफील के पिता शकील ने बताया था कि उसके बेटे को 23 जून को पुलिस ने झिंझाना से उठाया था। चर्चा है कि इससे पहले हाजी सलीम को हिरासत में लिया गया था। जांच एजेंसियां दोनों से गोपनीय स्थान पर पूछताछ कर रहीं थी। पूछताछ में कड़ियां जुड़ती गईं और हैदराबाद से नासिर और इमरान की गिरफ्तारी के बाद एनआईए ने सलीम और कफील की गिरफ्तारी को भी उजागर किया।

सीसीटीवी फुटेज से हुई थी पहचान

ट्रेन में पार्सल रखने की जिम्मेदारी नासिर और इमरान को दी गई थी। दोनों के चेहरे पार्सल बुकिंग को जाते समय सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गए थे। एनआईए ने दोनों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया।

जांच एजेंसी की सूची में कैराना के और भी नाम

दरभंगा पार्सल ब्लास्ट मामले में कैराना के चार लोगों की गिरफ्तारी के बाद एनआईए की सूची में कैराना के कई और नाम हैं। एनआईए के पहुंचाने के साथ ही शामली क्राइम ब्रांच भी कैराना आ गई थी। टीम ने कैराना के तीन-चार युवकों को कोतवाली बुलाकर उनसे भी लंबी पूछताछ की। बाद में सभी को छोड़ दिया गया। सूत्रों का कहना है कि एनआईए ने स्थानीय पुलिस और क्राइम ब्रांच को कैराना के कुछ युवकों पर नजर रखने को कहा।