संघर्ष से लड़कर जीता सपना- एक सामान्य वर्ग के लड़के की मेहनत रंग लाई….

मेहनत कभी बेकार नही जाती कोशिश करने वालो की कभी हार नहीं होती। अंडर-19 वर्ल्डकप 2022 के लिए भारतीय टीम का गठन हो चुका है। गाजियाबाद के सिद्धार्थ यादव को भी टीम में जगह मिली है। सिद्धार्थ यादव के पिता श्रवण यादव गाजियाबाद में किराने की दुकान चलाकर परिवार का भरण पोषण करते हैं।

बेटे का चयन भारतीय टीम में होने के बाद श्रवण की दुकान और उनके चेहरे रौनक बढ़ सी गयी है। इसके साथ ही श्रवण का संघर्ष भी अब खत्म होता नजर आ रहा है। अपने बचपन का सपना वो अपने बेटे के जरिए जी रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार श्रवण को बचपन से ही भारतीय टीम के लिए खेलना था, लेकिन भाग्य ने उनका साथ नहीं दिया और वे क्रिकेट में एक नेट बॉलर बन कर रह गए। इसके बाद उन्होंने अपने बेटे को क्रिकेटर बनाने की ठानी। श्रवण ने अपने सपनो को साकार करने के लिए किराने की दुकान खोली और अपने बेटे को क्रिकेटर बनाने के लिए संघर्ष शुरू किया।
श्रवण ने बताया कि उनका बेटा पहली बार बैट पकड़ कर उल्टा खड़ा हो गया था। तब उनकी मां ने इस पर आपत्ति भी जताई, लेकिन श्रवण ने कहा कि यही उसका स्टांस होगा। तभी से सिद्धार्थ बाएं हाथ के बल्लेबाज बन गए। उनके बड़े होने पर उनके लिए प्रैक्टिस सबसे बड़ी चुनौती थी। इसके लिए श्रवण रोज दोपहर दो बजे से शाम छह बजे तक अपनी दुकान बंद कर देते थे और बेटे को प्रैक्टिस कराने ले जाते थे।

सिद्धार्थ के आठ साल के होने पर ही  उनके पिता ने उन्हें क्रिकेटर बनाने की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने यह तय किया कि सिद्धार्थ को रोजाना कम से कम तीन घंटे प्रैक्टिस कराएँगे। इसके बाद वो रोजाना उन्हें मैदान पर लेकर जाने लगे और खुद थ्रो डाउन करके प्रैक्टिस कराने लगे। इस दौरान सिद्धार्थ को सीधे बल्ले से खेलने की प्रैक्टिस कराई गई और सिद्धार्थ और उनके पिता की यह मेहनत आज रंग लाई है।