बिहार कांग्रेस के रिसर्च विभाग ने बिहार के संदर्भ में आपाद जोखित न्यूनीकरण एवं कोविड-19 जूम कॉन्फ्रेंस का किया आयोजन , जुटे नामी आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ

बिहार कांग्रेस केरिसर्च विभाग ने बिहार के संदर्भ में आपाद जोखित न्यूनीकरण एवं कोविड-19 जूम कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया ।इस कॉन्फ्रेंस को देश के नामी गिरामी आपदा प्रबंधन विशेषज्ञो के साथ-साथ राज्यसभा सदस्य एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश के द्वारा भी संबोधित किया गया।

डॉ0 मदन मोहन झा के द्वारा किया स्वागत

इस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित लोगो का स्वागत एवं अध्यक्षता बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ0 मदन मोहन झा के द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि हमें इस बात की पूरी उम्मीद है कि इस बैठक का जो निष्कर्ष निकलेगा उसे हम अपनों घोषणापत्र में शामिल तो करेंगे ही, साथ ही इसे लागू करनें, करानें के लिये सदैव संघर्षशील रहेंगे।

आनंद माधव और डॉ0 मधुबाला ने किया संचालन

इस कॉन्फ्रेंस का संचालन रिसर्च विभाग के चेयरमैन आनंद माधव एवं समन्वयक डॉ0 मधुबाला के द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए जयराम रमेश, एम0पी0 राज्यसभा एवं पूर्व मंत्री ग्रामीण विकास एवं पर्यावरण ने देश व्यापी आपदा प्रबंधन 2005 की चर्चा की।

पर्यावरण संरक्षण को नजर अंदाज करने का परिणाम रूवरूप कोविड-19

उनहोने के कहा कि कांग्रेस सरकार के काल में ही इस अधिनिमय को बनाया गया। वर्ष 2004 में आई सुनामी जैसी बडी आपदा और उसके पूर्व कई बड़ी आपदाओं को देखते हुए संभावित आपदाओं से निपटने के लिए एक संस्थागत ढांचा के रूप में आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 को बनाया गयां। पर्यावरण संरक्षण को नजर अंदाज करने के परिणाम रूवरूप कोविड-19 आपदा आई है।ऐसे में मनरेगा मजदुरो के लिए एक हथियार के रूप मे कार्य कर रहा है। आज कांग्रेस के समय बनाये गये संस्थान जैसे एन डी एम ए , एस डी एम ए एवं मनरेगा जैसे कानून ही काम कर रहें हैं।सत्ता में बैठी सरकार ने शुरुआती दिनों में इसका पुरज़ोर विरोध किया था वही आज लाइफ़ लाइन बना हुआ है।आपदा जोखित न्यूनीकरण एवं आपदा प्रबंधन के अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ एवं बिहार राज्य आपदा प्रबंधन कार्यक्रम के पूर्व उपाध्यक्ष श्री अनिल सिन्हा ने संबोधित करते हुए सर्वप्रथम बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी का ये कार्य एक सराहनीय कदम बताया। उन्होने यह भी कहा की नये जोखिम को अब नहीं बढाना है और आपदा की जोखिम की समीक्षा की जानी आवश्यक है और साथ ही जिला आपदा प्रबंधन योजना में कोविड-19 से सुरक्षा के आयामो को भी समाहित करना होगा। जिला आपदा प्रबंधन कार्यक्रम को भी सशक्त करना होगा। सिविल सोसायटी, एन0जी0ओ0 एवं आई0एन0जी0ओ के साथ मिलकर सरकार को आपदाओं का मुकाबला करना होगा। अंतर्राष्ट्रीय एवं यू0एन0डी0पी0 के विशेषज्ञ जी पदमनाभम ने संबोधित करते हुए कहा कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण को मुख्य धारा में लाना होगा। उन्होने कई सुझाव दिये जिसमें संभावित बाढ के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली को सशक्त करने की बात कही। आपदा के जोखिमो का मूल्यांकन करने पर बल दिया। बहु आपदा शिविरो के निर्माण की बात कही। समुदाय आधारित आपदा जोखिम न्यूनीकरण एवं गैर सरकारी संगठनो की भूमिका पर भी बल दिया।
इस कार्यक्रम में अन्य कई लोगो ने जिसमें ऑक्सफेम की राष्ट्रीय समन्वयक पूनम मिश्रा ने कहा कि इस आपदा में स्वयं सेवी संस्थाओं को जोड कर काम करनें की आवश्यकता है। पटना वीमेंस कॉलेज की डा. अमृता चौधरी ने बच्चों की शिक्षा इस आपदा में कैसे हो इस पर चिंता व्यक्त की और अपनें सुझाव दिये।इनके अतिरिक्त बंकु बिहारी सरकारी, यूनिसेफ बिहार, विशाल वास्वानी, यूनीसेफ छतीसगढ, राफे इजाज हुसैन, बिहार झारखंड के महाप्रबंधक सेव दी चिल्ड्रेन, रंजना दास, डॉ0 आनंद विजेता, एकलव्य जी आदि ने संबोधित किया।

ए आई सी सी के सचिव राणाजीत मुखर्जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।तकनीकि सहयोग रिसर्च की नेशनल कोआरडिनेटर लेनी जाधव एवं सौरभ कुमार सिन्हा सचिव रिसर्च बिहार कांग्रेस ने दिया।