भगवा का मतलब बीजेपी नही, बीजेपी चाहती है सबका साथ सबका विकास- जेपी नड्डा

बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा है कि भगवा का मतलब बीजेपी नहीं है और बीजेपी येति नरसिंहानंद जैसे लोगों को बढ़ावा नहीं देती है। उन्होंने कहा- कुछ लोग ऐसा करते हैं जिसे हम सही नहीं मानते। बीजेपी का मतलब है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबकी कोशिश। पार्टी इसी मूल मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है।

जेपी नड्डा ने आगे कहा– अगर बीजेपी का कोई कार्यकर्ता ऐसी हरकत करता है तो हम उसे रोकने में बिलकुल भी समय नहीं लगाएंगे। बीजेपी अध्यक्ष ने विपक्ष पर देश की आत्मा पर हमला करने की कोशिश का आरोप लगाया। गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले देश की 13 प्रमुख विपक्षी नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी कर मोदी सरकार पर भड़काऊ भाषण देने और देश में सांप्रदायिक तनाव का माहौल पैदा करने का आरोप लगाया था। जवाब में नड्डा ने भी देश के नागरिकों के नाम एक चिट्ठी लिखी है जिसमें उन्होंने कहा है कि विपक्ष द्वारा की जा रही वोट बैंक पॉलीटिक्स और डिविजन पॉलीटिक्स अब नहीं चलेगी। उन्होंने आगे लिखा कि पीएम मोदी का पूरा ध्यान सबका साथ, सबका विकास पर है। भारतीय युवाओं को अब पंख लग गए हैं और वो सफलता की ऊंचाईयां छूने को तैयार हैं।

नतीजों से सबक ले विपक्ष

बीजेपी अध्यक्ष ने कहा- देश के युवाओं को रोजगार के अवसर चाहिए ना कि किसी तरह की बाधा चाहिए। युवाओं को विकास चाहिए ना कि बंटवारा चाहिए। हर धर्म, हर उम्र वर्ग के लोग मिलकर गरीबी के खिलाफ लड़ रहे हैं ताकि भारत को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया जा सके। विपक्ष पर हमला बोलते हुए जेपी नड्डा ने कहा- जिन लोगों को विभाजन की राजनीति करनी है उन्हें पांच राज्यों में हुए चुनाव परिणामों से सीख लेनी चाहिए।

एक दंगे के जवाब में दंगों की झड़ी

बीजेपी पर सांप्रदायिक हिंसा का आरोप लगाने वाले विपक्ष को जवाब देते हुए जेपी नड्डा ने ‘जब एक पेड़ गिरता है…’ बोलकर 1984 के दंगों का जिक्र किया। उन्होंने कहा 1966 में गौवंश का कत्ल रोकने के लिए साधू पार्लियामेंट हाउस के बाहर धरना दे रहे थे जिनपर गोलियां चलवाई गई। ये इंदिरा गांधी का कार्यकाल था। इसके अलावा उन्होंने 1969 में हुए गुजरात दंगे, 1980 में मुरादाबाद में हुए दंगे, 1984 भिवानी, 1989 भागलपुर दंगों के जरिए विपक्ष पर हमला बोला।

विपक्षी नेताओं ने जारी किया था बयान

गौरतलब है कि शनिवार को 13 विपक्षी नेताओं ने मिलकर देश में बढ़ रहे सांप्रदायिक दंगों और जहरीले भाषणों को लेकर चिंता जाहिर की थी। 13 पार्टियों ने संयुक्त रूप से बयान जारी कर इस मामले में पीएम मोदी की चुप्पी पर सवाल खड़े किए थे। इनमें कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी, एनसीपी चीफ शरद पवार, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, तमिलनाडु के सीएम एम के स्टालिन और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन शामिल हैं। (हिंदुस्तान से इनपुट)