चिराग ने दिया दही-चूड़ा का सियासी भोज, सम्राट ने लालू पर कसा तंज, कहा-उनको बुला कौन रहा है …

लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने अपने आवास पर दही-चूड़ा का भोज दिया…इस भोज में राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर समेत एनडीए समेत कई दलों के नेता शामिल हुए…इनके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा और रालोजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के साथ ही जाप के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव सहित कई नेताओं ने दही-चूड़ा के भोज के साथ राजनीतिक चर्चा की।

चुनावी हितों के लिए है सरकार का फैसला

इस अवसर पर जमुई सांसद चिराग पासवान ने नीतीश कुमार की नई योजना पर कटाक्ष करते हुए कहा चुनावी सालों में लिया गया यह फैसला चुनावी हितों के लिए ही है।  चिराग ने कहा कि अगर किसी परिवार को सरकार ने 2 लाख रुपया दे भी दिया तो क्या वो परिवार अपना पूरा जीवन उस रुपए में व्यतीत कर लेगा? जरूरत है सरकार गरीब परिवारों को एक स्थाई समाधान दें। 2 लाख रुपए देने से नहीं होगा।

ये नीतीश सरकार की जुमलेबाजी-सम्राट

NDA के नेता इसे नीतीश कुमार की जुमलेबाजी बताने में लग गए हैं। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि ये नीतीश सरकार की जुमलेबाजी है। वो 18 साल के बाद आज कह रहे हैं कि बिहार के लोग गरीब हैं। अच्छी बात है। देना चाहिए। लेकिन, ये जालसाजी वाली सरकार है। जैसे ये लोग कहते हैं कि बिहार में हम लोगों ने 2 लाख नौकरी दी, मगर असलियत ये है कि अभी तक 1 लाख लोगों को भी नीतीश कुमार की सरकार ने नौकरी नहीं दी है। यहां सिर्फ बालू माफिया, जमीन माफिया और शराब माफिया फल-फूल रहे हैं।

लालू को बुला कौन रहा है-उनकी जगह जेल में

वहीं सम्राट चौधरी ने लालू 22 जनवरी को अयोध्या नहीं जाने के सवाल पर कहा कि उनको बुला कौन रहा है? लालू प्रसाद की जगह तो जेल में है। लालू प्रसाद का मतलब क्या है? वो भ्रष्टाचार और आतंक के प्रतीक हैं। वो गुंडों के प्रतीक हैं। जो आदमी गुंडों को संरक्षण देने वाला है,

‘नीतीश कुमार की खिसक गई है जमीन’

जबकि चिराग के दही-चूड़ा भोज में शामिल रालोजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि इतने दिनों से नीतीश कुमार को गरीब नजर नहीं आ रहे थे। चुनाव नजदीक आया तो वो चुनावी लाभ के लिए इस तरह की योजना ला रहे हैं। 18-20 सालों में उन्हें बिहार के गरीब नहीं दिखे। सीधी बात ये है कि उनकी जमीन खिसक गई है।