पति के प्रेम में कोरोना का डर हुआ गायब, वट सावित्री पूजा में सुहागिन महिलाओं की उमड़ी भीड़

ज्येष्ठ अमावस्या, श्री शनि देव जयंती और अखंड सौभाग्य का प्रतीक वट सावित्री पूजा को लेकर राजधानी पटना के कई इलाको मे सुबह से ही सुहागिनों की भीड़ दिख रही है। वट वृक्ष के समीप इतनी भीड़ है कि फिजिकल डिस्टेंसींग समाप्त हो गयी है, या यूँ कहे कि प्रेम में कोरोना का डर हुआ गायब और महिलाओं ने सोशल डिस्टेंसींग को ताक पर रख दिया है। बतादें कि आज का दिन सुहागिनो के लिये विशेष दिन है। पति की लम्बी उम्र के लिये निर्जला व्रत रख कर सावित्री, सत्यवान, यमराज के साथ वट वृक्ष की पूजा करती है। गौरतलब है कि इस दौरान महिलाओं में कोरोना संक्रमण की चिंता नहीं दिखी। पटनासिटी के मोगलपुरा क्षेत्र में भी वट साव‍ि‍त्री की पूजा के दौरान सुहागिन महिलाओं में कोरोना वायरस के संक्रमण का डर नहीं दिखा। इन महिलाओं ने पति के प्रेम में कोरोना के डर को भी मात दे दिया। वट सावित्री पूजा को लेकर सुबह-सुबह सुहागिन महिलाएं अपने घरों से निकलकर आसपास में लगे बरगद के पेड़ के नीचे पहुंच गए और विधि-विधान के साथ बेखौफ तरीके से वट सावित्री का पूजा-अर्चना कर पति के लंबी उम्र की मंगल कामना एवं परिवार के सुख-समृद्ध के लिए प्रार्थना की।

क्या है वट सावित्री व्रत कथा

वट सावित्री व्रत कथा के अनुसार सावित्री के पति अल्पायु थे, उसी समय देव ऋषि नारद आए और सावित्री से कहने लगे की तुम्हारा पति अल्पायु है। आप कोई दूसरा वर मांग लें। पर सावित्री ने कहा- मैं एक हिन्दू नारी हूं, पति को एक ही बार चुनती हूं। इसी समय सत्यवान के सिर में अत्यधिक पीड़ा होने लगी। सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे अपने गोद में पति के सिर को रख उसे लेटा दिया। उसी समय सावित्री ने देखा अनेक यमदूतों के साथ यमराज आ पहुंचे है। सत्यवान के जीव को दक्षिण दिशा की ओर लेकर जा रहे हैं। यह देख सावित्री भी यमराज के पीछे-पीछे चल देती हैं।

उन्हें आता देख यमराज ने कहा कि- हे पतिव्रता नारी! पृथ्वी तक ही पत्नी अपने पति का साथ देती है। अब तुम वापस लौट जाओ। उनकी इस बात पर सावित्री ने कहा- जहां मेरे पति रहेंगे मुझे उनके साथ रहना है। यही मेरा पत्नी धर्म है। सावित्री के मुख से यह उत्तर सुन कर यमराज बड़े प्रसन्न हुए। उन्होंने सावित्री को वर मांगने को कहा और बोले- मैं तुम्हें तीन वर देता हूं। बोलो तुम कौन-कौन से तीन वर लोगी।

तब सावित्री ने सास-ससुर के लिए नेत्र ज्योति मांगी, ससुर का खोया हुआ राज्य वापस मांगा एवं अपने पति सत्यवान के सौ पुत्रों की मां बनने का वर मांगा। सावित्री के यह तीनों वरदान सुनने के बाद यमराज ने उसे आशीर्वाद दिया और कहा- तथास्तु! ऐसा ही होगा। सावित्री पुन: उसी वट वृक्ष के पास लौट आई। जहां सत्यवान मृत पड़ा था। सत्यवान के मृत शरीर में फिर से संचार हुआ। इस प्रकार सावित्री ने अपने पतिव्रता व्रत के प्रभाव से न केवल अपने पति को पुन: जीवित करवाया बल्कि सास-ससुर को नेत्र ज्योति प्रदान करते हुए उनके ससुर को खोया राज्य फिर दिलवाया।

तभी से वट सावित्री अमावस्या और वट सावित्री पूर्णिमा के दिन वट वृक्ष का पूजन-अर्चान करने का विधान है। यह व्रत करने से सौभाग्यवती महिलाओं की मनोकामना पूर्ण होती है और उनका सौभाग्य अखंड रहता है।

पटना सिटी से मुकेश कुमार की रिपोर्ट