बिहार में कोरोना मरीजों के लिए पटना एम्स बनेगा 500 बेड के साथ, 100% COVID19 डेडिकेटेड अस्पताल

कोरोना संक्रमण तेज़ी से बढ़ता जा रहा है, बिहार में भी संक्रमितों का अकड़ा बढ़ कर दस हज़ार को पार कर चूका है। इसी से निपटने के लिए सरकार ने फैसला लिया है कि  एम्स पटना जल्द ही कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल में तब्दील कर दिया जाएगा। जिसके बाद यहां सिर्फ कोरोना संक्रमित मरीजों की जांच और इलाज होगा। वहीं  अस्पताल में कोरोना मरीजों के लिए अब 50 की बजाय 500 बेड उपलब्ध होंगे। अस्पताल प्रशासन माने तो वह इसके लिए पूरी तरह से तैयार है। खबर है कि अगले तीन से चार दिनों में इसकी घोषणा भी हो जाएगी। गौरतलब है कि इसके बाद यहां कोरोना के सिवा अन्य किसी भी बीमारी से पीड़ित मरीजों का इलाज अगले आदेश तक बंद रहेगा। मौजूदा तौर पर अभी पटना AIIMS के आइसोलेशन वार्ड में संक्रमितों के लिए 50 बेड उपलब्ध हैं। हलाकि कोरोना अस्पताल में तब्दील करने के लिए निदेशक की अध्यक्षता में अधीक्षक व एम्स के वरीय चिकित्सकों की एक बैठक हो चुकी है। बैठक में शामिल एक वरीय चिकित्सक ने बताया है कि, AIIMS को कोरोना अस्पताल में बदलने का निर्णय लिया जा चूका है उम्मीद है कि जल्द ही यह कोरोना अस्पताल में तब्दील हो जाएगा।

जुलाई के अंत तक कोरोना के चरम पर होने की आशंका

राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या दस हज़ार पार कर चुकी है। इसे देखते हुए एम्स को कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल बनाने का निर्णय लिया गया है। डॉक्टरों व स्वास्थ्य मंत्रालय के आकलन के अनुसार अगले कुछ दिनों में संक्रमण में और तेजी आएगी। आशंका है कि जुलाई के अंत तक कोरोना अपने चरम पर हो सकता है।  संक्रमितों के इलाज के लिए ज्यादा से ज्यादा बेड और चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए ऐसी व्यवस्था की जा रही है। एम्स प्रशासन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भी इस निर्णय से अवगत करा दिया है। माना जा रहा है कि मंत्रालय से मंजूरी मिलते ही नई व्यवस्था शुरू हो जाएगी।

पूरी तरह समर्पित अस्पताल होने से मरीजों के होगा फ़ायदा

एम्स निदेशक डॉ. प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि एम्स में सामान्य इमरजेंसी और कोरोना संक्रमित दोनों प्रकार के मरीज बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। ऐसे में दोनों मरीजों के साथ पूरी तरह से न्याय नहीं हो पा रहा है। ऐसे में AIIMS का पुर्ण रूप से कोविड अस्पताल होना उनके लिए बेहतर होगा। यदि सामान्य मरीजों के लिए संचालन होगा तो उनके लिए बेहतर होगा। यही कारण है कि किसी एक तरह का समर्पित अस्पताल होने से मरीजों के साथ ज्यादा न्याय हो सकेगा।

 सामान्य ओपीडी  के इलावा अब इमरजेंसी मरीज भी अब नहीं होंगे भर्ती 

गौरतलब है कि अस्पताल प्रशासन के अनुसार कोरोना अस्पताल में तब्दील होने के बाद एम्स में इमरजेंसी मरीज भी भर्ती नहीं लिए जाएंगे। हलाकि अभी यहां का सामान्य ओपीडी पिछले तीन महीने से पूरी तरह से बंद है। सिर्फ कोविड-19 जांच के लिए यहां एक अलग ओपीडी चल रहा है। इसके अलावा गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए इमरजेंसी सेवा यहां जारी थी। बता दें कि एम्स का इमरजेंसी बंद हो जाने के बाद ऐसे मरीजों का सारा दबाव पीएमसीएच और आईजीआईएमएस जैसे संस्थानों पर आ जाएगा।