गया जिले के बोधगया प्रखंड के बतसपुर गांव को मिलेगा रसोई तक पाइप लाइन से बायोगैस….

बिहार के गया जिले के बोधगया प्रखंड के बतसपुर गांव की सूरत निकट भविष्य में बदलने वाली है। बोधगया के बसाढ़ी पंचायत के इस गांव के ग्रामीणों के घरों में रसोई तक पाइप लाइन से बायोगैस मिलने वाली है, वह भी मुफ्त। बदले में किसानों को अपने गाय-भैस का गोबर और कचरा भुगतान करना होगा। खेतों की पराली और अन्य बेकार की चीजें भी सौंपनी होगी। पराली जलाने की समस्या सरकार के लिए सिरदर्द बन चुकी है। ऐसे में इस योजना के तहत पराली और गोबर से बायोगैस बनेगी।

दरअसल, बोधगया प्रखंड के बसाढी पंचायत अंतर्गत बतसपुर गांव को लोहिया स्वच्छ बिहार फेज टू के तहत गोवर्धन योजना के लिए चयन किया गया है। इसके तहत गांव में 50 लाख रुपए की लागत से बायोगैस प्लांट बनाये जा रहे हैं और मार्च महीने से 50 घरों मे निशुल्क बायोगैस उपलब्ध कराई जाएगी।

50 घरों को निशुल्क बायोगैस उपलब्ध हो, इसको लेकर काम तेजी से चल रहा है। बायोगैस की टंकी बन चुकी है। सिर्फ पाइप लाइन बिछाने का काम रह गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि मार्च महीने में यह प्लांट बनकर तैयार हो जाएगा और ग्रामीणों को इसका लाभ मिल सकेगा।

बता दें कि नवंबर महीने में बिहार सरकार के कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत के द्वारा इस प्लांट का भूमिपूजन कर शिलान्यास किया गया था।

गरीब परिवारों को मिलेगा इसका सीधा  लाभ…

गांव में इस योजना के आने से स्थानीय ग्रामीण भी खुश है और लोगों का मानना है कि इससे गरीब परिवार को लाभ है। पहले लोग लकडी गोइठा से खाना बनाते थे तो घर की महिलाओं को परेशानी होती थी। प्लांट लगने से लोगों को रोजगार भी मिलेगा और गांव वालों को गैस के बदले में भुगतान के रुप में घरों से निकलने वाला जैविक कचरा देना होगा।

घरों में मौजूद गाय-भैसों का गोबर, खेतों से निकलने वाली पराली, घरों से निकलने वाला अन्य जैविक कचरा आदि। यहां पर पराली और कृषि अपशिष्ट को मिलाकर बायोगैस का निर्माण होगा और किसानों को उनके घर तक कुकिंग गैस पहुंचाई जाएगी। प्रथम चरण में 50 घरों तक कुकिंग गैस पहुंचाने को लेकर योजना तैयार हो गई है।

जिले का ऐसा पहला गांव बना बतसपुर …

उप मुखिया मनोरंजन प्रसाद समदर्शी बताते हैं कि गया जिला का यह पहला गांव होगा जहां के लोगों को गोबर के बदले बायोगैस के रूप में कुकिंग गैस उनके घरों तक आपूर्ति की जाएगी। गोबर और जैविक कचरे से बायोगैस का निर्माण होगा। उसके बाद चैंबर से निकलने वाले वेस्ट मटेरियल को जैविक खाद के रूप में उपयोग किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि जो किसान गोबर उपलब्ध कराएंगे, उन्हें रसोई गैस निशुल्क दी जाएगी, लेकिन जो किसान गोबर नहीं देंगे उन्हें आधे दाम में कुकिंग गैस दी जाएगी।

किसानों को जहां-तहां गोबर फेंकने की जरूरत नहीं है। किसानों को हम लोग डस्टबिन उपलब्ध कराएंगे। वहीं पर गोबर को इकट्ठा किया जाएगा। साथ ही पराली को भी हमलोग लेंगे। इसके बाद गोबर को किसानों से खरीद कर बायोगैस का निर्माण किया जाएगा और बदले में उनके घरों तक कुकिंग गैस पहुंचाई जाएगी।

उन्होंने कहा कि गया में बतसपुर गांव में एकमात्र इस योजना का कार्य चल रहा है। इसका सबसे बड़ा लाभ किसानों को गोबर और पराली से तैयार बायोगैस एवं जैविक खाद के रूप में मिलेगी।