
बिहार विधानमंडल शीतकालीन सत्र की शुरआत आगामी दिसंबर से होने वाला है। इसको लेकर कैबिनेट की बैठक में सरकार ने इस पर मुहर लगा दी है। जिसके बाद कैबिनेट के फैसले के बाद स्वीकृति के लिए राजभवन भी इसे भेजा जाएगा। इस बार का शीतकालीन सत्र बेहद छोटा होने वाला है। यह शीतकालीन सत्र महज 5 दिन का होने वाला है। इस सत्र में बिहार में दो सीटों पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल करने वाले कुसुम देवी और नीलम देवी को विधायक पद की सदस्ता दिलाई जाएगी।
शीतकालीन सत्र के 5 दिनों के सत्र में पहले दिन यानी 13 दिसंबर को विधानसभा में विधानसभा अध्यक्ष का संबोधन होगा। उसके बाद नए चयनित 2 विधायकों को शपथ भी दिलायी जायेगी। पीठासीन पदाधिकारियों की नियुक्ति के बाद शोक प्रस्ताव होगा और सदन की कार्यवाही स्थगित हो जाएगी। पीठासीन पदाधिकारियों की नियुक्ति के बाद शोक प्रस्ताव होगा और सदन की कार्यवाही स्थगित हो जाएगी। इसके बाद 14 दिसंबर से प्रश्नकाल से सदन की कार्यवाही की शुरुआत होगी। शून्य काल और ध्यानकर्षण भी होगा। 5 दिनों के सत्र में सरकार की ओर से कई विधायक भी पेश किए जाएंगे। महागठबंधन की सरकार बनने के बाद ऐसे तो विशेष सत्र बुलाया गया था। लेकिन यह पहला सत्र होगा जिसमें बीजेपी सरकार को घेरेगी। इसी तरह विधान परिषद में भी 5 दिनों का सत्र होगा। 19 दिसंबर को विधानमंडल सत्र का समापन हो जाएगा।
बता दें कि, बिहार में नीतीश कुमार का भाजपा के साथ नाता तोड़ने के बाद यह अपना शीतकालीन सत्र होगा जब राजद और जदयू साथ मिलकर सरकार का पक्ष रखेगी। वहीं, भाजपा विपक्ष में होगी और विधानसभा में विजय कुमार सिन्हा तो परिषद् में सम्राट चौधरी विपक्ष के नेता होंगे। उम्मीद जताई जा रही है इस कारण यह शीतकालीन सत्र काफी हंगामेदार रहने वाला है। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि,बिहार में बढ़ते अपराध और शराबबंदी के कारण बिहार में तस्करी का मुद्दा गर्म हो सकता है। पक्ष और विपक्ष सत्र की शुरूआत होने से पहले हर मुद्दों की तैयारी कर लेना चाहते हैं। कुढ़नी विधानसभा का उपचुनाव भी है ऐसे में कई मुद्दों को लेकर विपक्ष सरकार को घेरने की रणनीति बना रहा है।
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