पटना के कॉलेज ऑफ कॉमर्स में बेबिनार का हुआ आयोजन. “एक नया सामान्य या एक नई शुरुआत” विषय पर विशेषज्ञों ने रखी अपनी राय

पटना के कॉलेज ऑफ कॉमर्स में लॉकडाउन व्याख्यान श्रृंखला 9 का बेबिनार आयोजित किया गया. इस बेबिनार में “एक नया सामान्य या एक नई शुरुआत” विषय पर कई विशेषज्ञों ने अपना व्याख्यान दिया।

जीवन शैली को जीना है जटिल-ऋषि शेखर सिंह

वृहद आईटी सर्विस कंपनी के सीनियर कंसलटेंट ऋषि शेखर सिंह ने कहा कि जिंदगी व्यतीत करना आसान है लेकिन जीवन शैली को जीना जटिल है। उन्होंने कोविड-19 पैनडेमिक का आईटी क्षेत्र और तकनीक पर प्रभाव और हमारे द्वारा अच्छे ढंग से बर्ताव कर जैविक विज्ञान का लाभ उठाने पर बल दिया। जैविक विज्ञान का ज्ञान क्षेत्र क्या है? और अब बदला रूप क्या होगा? यह विचारणीय है। तकनीक आज के संदर्भ में चुनाव नहीं बल्कि आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि वापस पुराने ढंग की जिंदगी में आना इस बात पर निर्भर करेगा कि हमने तकनीकी तरीकों को किस ढंग से उपयोग किया। उन्होंने कहा कि सूचना तकनीक आज सभी तकनीक से ज्यादा उपयोगी बनकर उभरा है। लेकिन यह जीने की विज्ञान एवं स्वास्थ्य केयर उद्योग के लिए जीवनदायी बन गया है। आभासी सहयोग उपकरण के रूप में सूचना तकनीक अत्यंत उपयोगी बनकर उभरा है, यह न सिर्फ निजी उपयोग बल्कि सभी प्रकार के उद्योगों और उद्योग कर्मियों के कार्यस्थल के लिए एक विशिष्ट अंग बन गया है। और यह परिवर्तन नए सामान्य का एक हिस्सा है। कंपनियों को इसकी योग्यता और लचीलेपन के बीच सामंजस्य लाना होगा। ऑटोमेशन, इंटेलिजेंस, एजीलिटी और ऑन डिमांड सर्विसेस ही कार्य करने के नए तरीके होंगे।

उन्होंने वैश्विक कोविड-19 के गर्म नक्शे के तीन आयामों निम्न, मध्यम और उच्च संसर्ग की चर्चा की। उन्होंने उस प्रक्रिया की विस्तृत व्याख्या की जिसके तहत बढ़ती स्वास्थ्य संबंधित सेवाओं की मांग बढ़ती मरीज तीक्ष्णता और नई स्वास्थ्य संबंधी क्षमताओं की मांग के संबंध में यह तकनीक सहायक है। जीव विज्ञान से जुड़ी हुई तमाम कंपनियों को एक बार फिर से अपने आप को परिभाषित करना पड़ेगा और वैश्विक स्तर पर लोगों के दिलों दिमाग में विश्वास पैदा करना होगा, एक नया मानक तैयार करना होगा ताकि पूरा स्वास्थ्य समुदाय इन पर भरोसा कर सके।

तमाम कंपनियों को मदद के लिए आना होगा आगे-प्रोफेसर डॉ० शांडिल्य

इस व्याख्यान श्रृंखला के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ० तपन कुमार शांडिल्य, प्राचार्य, कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस, पटना ने अपने अध्यक्षीय और स्वागत उद्बोधन में कहा कि यह सच है कि इस महामारी ने हमारी अर्थव्यवस्था व्यवस्था को बहुत बुरी तरह से प्रभावित किया है जिसके कारण राजस्व की बहुत बड़ी क्षति हुई है। ऐसे में सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी हुई तमाम कंपनियों को मदद के लिए आगे आना होगा ताकि इस नए तकनीक के जमाने में हम कठिन से कठिन डिजिटल प्रबंधन के कार्यान्वयन में सफल हो सके।

कोरोना सिर्फ वैश्विक महामारी नहीं, बल्कि इसके बड़े ही दूरगामी परिणाम- डॉ० रश्मि अखौरी

प्रो. डॉ० रश्मि अखौरी, विभागाध्यक् (अर्थशास्त्र विभाग, कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस) ने बताया कि हाल के विगत कुछ दशकों में भारत की सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में आर्थिक तेजी देखने को मिली है। ऐसे भी यह क्षेत्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है ताकि मध्यमवर्गीय जीवन के जो सपने हैं उनको पूरा किया जा सके। कोविड-19 जैसी वैश्विक महामारी ने पूरे विश्व की स्वास्थ्य पद्धति को तनावग्रस्त कर दिया है। हालांकि जैविक विज्ञान से जुड़ी हुई तमाम कंपनियों ने इससे निजात पाने में अपनी पूरी कोशिश लगा दी है। कोविड-19 कोई अल्पकालिक वैश्विक महामारी नहीं है बल्कि इसके बड़े ही दूरगामी परिणाम होने वाले हैं, मसलन कैसे आदमी जीवन में काम करें, कैसे कोरोना पीड़ितों के साथ हम व्यवहार करें और कैसे जैविक विज्ञान से जुड़ी हुई तमाम कंपनियां पूरे विश्व में अपनी सार्थक भूमिका निभायें?

मानव जीवन के बेहतर स्वास्थ्य के लिए कई बात जरूरी-डॉ० अरविंद कुमार नाग

प्रो. डॉ० अरविंद कुमार नाग, विभागाध्यक्ष (रसायनशास्त्र विभाग, कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस)  ने अपने अवलोकन में कहा कि कई कंपनियों ने एक दूसरे से अनुबंध करके दिन रात इसके जांच और निदान में लगी हुई हैं। इतना ही नहीं वे इसके इलाज के लिए वैक्सीन की खोज मैं भी लगी हुई हैं और कई परीक्षण अभी प्रक्रियाधीन हैं जो मानव जीवन के बेहतर स्वास्थ्य से संबंधित कई बातों के लिए बहुत जरूरी हैं। ऐसे में उन उद्योगों को अपनी केंद्रीय भूमिका निभानी होगी जिनसे विश्व समुदाय को बहुत आशाएं हैं। वैसे इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि आईटी क्षेत्र ने चालू वित्तीय वर्ष में अपने लाभांश में गिरावट देखी है, जिसका कारण उनके उत्पादों की आपूर्ति के प्रबंधन में आ रही बड़ी बाधा है।

 

इस व्याख्यान श्रृंखला की समाप्ति प्रोफेसर डॉ० बिंदु सिंह, विभागाध्यक्ष (प्राणी विज्ञान, कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस)  के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। खुले सत्र में लोगों की सहभागिता ने इससे परस्पर संवादात्मक और मनोहर बना दिया। विभिन्न महाविद्यालयों के विभिन्न विभागों के शिक्षक गण, प्रतिष्ठित अतिथि गण और विद्यार्थियों ने अपनी सहभागिता से इस व्याख्यान श्रृंखला को सफल बनाया। इस व्याख्यान श्रृंखला में आइ०क्यू०ए०सी० के समन्वयक प्रोफेसर संतोष कुमार, प्रोफेसर उमेश प्रसाद, प्रोफेसर सलोनी, प्रोफेसर संजय कुमार पांडे, प्रोफेसर के० एन० यादव, प्रोफेसर मृदुला कुमारी, प्रोफेसर विवेक कुमार, प्रोफेसर संगीता कुमारी, प्रोफेसर बैकुंठ राय, प्रोफेसर कीर्ति, प्रोफेसर पद्मीनी प्रसाद, प्रोफेसर प्रवीण कुमार इत्यादि भी उपस्थित थे।