बिहार के इन 20 जिलों में झमाझम हो सकती है बारिश, धान की रोपनी के लिए बारिश बन कर आएगा वरदान…….

एक तरफ जहां पड़ोसी राज्य की राजधानी रांची में हो रहे लगातार बारिश से लोग पंखे बंद करने पर मजबूर हैं वहीं बिहार में अच्छी बारिश ना होने के कारण गर्मी और उमस से लोग परेशान नजर आ रहे हैं। पर मौसम विभाग की अगर माने तो ऐसा अनुमान है कि उमस और गर्मी से बिहार के लोगों को अब राहत मिल सकता है। मानसून सिस्टम फिर एक्टिव हो रहा है, जिससे पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण समेत कई जिलों में बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग के अनुसार, अगले दो दिनों में राजधानी पटना समेत बिहार के 20 जिलों में झमाझम बरसात की संभावना जताई गई है। इस साल अब तक मानसूनी बारिश में 42 फीसदी की भारी कमी दर्ज हुई है। जिसकी वजह से बिहार में किसानों को काफी मुश्किलों का सामने करना पड़ा है। कम बरसात की वजह से खरीफ फसलों की खेती प्रभावित हुई है।


पटना स्थित मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक, बिहार में एक बार फिर भारी बारिश का दौर शुरू होने वाला है। मौसम विभाग के अनुसार, दो दिन बाद यानी 18 जुलाई से सूबे में जोरदार बरसात की संभावना है। इस दौरान तेज हवा के साथ वज्रपात का भी अलर्ट है। मौसम विभाग के मुताबिक, कई जिलों में वर्षा की हल्की गतिविधियां शुरू हो गई हैं। आज पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण में हल्की से मध्यम बारिश का अलर्ट है। औरंगाबाद, अरवल, पटना और वैशाली में भी मौसम का मिजाज बदल सकता है। मौसम विभाग के मुताबिक, 19 जुलाई को पश्चिमी चंपारण, मधुबनी, अररिया और किशनगंज में भारी बारिश की संभावना है।


अधिकतम तापमान की बात करें तो शुक्रवार को सीतामढ़ी सबसे गर्म रहा। इस जिले में पार 39.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। नालंदा में 36.4, वाल्मीकिनगर में 38.8, दरभंगा में 37 डिग्री, रोहतास में 37.4 डिग्री सेल्सियस पारा पहुंच गया। राजधानी पटना में जरूर तापमान में कुछ गिरावट देखने को मिली, शुक्रवार को जिले में अधिकतम तापमान 36.8 डिग्री रहा। बेगूसराय में 37, मुजफ्फरपुर में 35.8 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। शेखपुरा जरूर कुछ गर्म रहा यहां 38 डिग्री तापमान रहा। राज्य के ज्यादातर जिलों में अधिकतम तापमान 36 से 38 डिग्री के आस-पास ही रहा।


इस साल अब तक मानसूनी बारिश में 42 फीसदी की भारी कमी के कारण बिहार एक बड़े कृषि संकट का सामना कर रहा है। मानसूनी वर्षा के अभाव में बड़ी संख्या में किसान धान की रोपाई नहीं कर सके हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि धान की खेतों के लिए सिंचाई का मुख्य स्रोत बारिश होता है। खरीफ सीजन में धान की रोपाई ज्यादातर जून की शुरुआत से शुरू होती है। हालांकि, इस बार तपती गर्मी और औसम से कम बारिश ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं। देखना होगा कि मानसून की वापसी से क्या किसानों को राहत मिलेगी?