पटना में चल रहा था खून के कालाबाजारी का गंदा खेल, पटना पुलिस ने किया भांडाफोड।

पटना में अवैध खून के कारोबार का भांडाफोड होने के बाद हर कोई हैरान है। मानवीयता को शर्मशार करनेवालों के काले कारनामों की हर तरफ थू थू की जा रही है। कोतवाली थाना क्षेत्र के महावीर मंदिर के पास से गिरफ्तार किए गए ‘बच्चों के लॉकेट काटने वाले’ गिरोह के सरगना अजय द्विवेदी के साथ उसके गिरोह के एक अन्य साथी संतोष कुमार को पुलिस ने शक के आधार पर हिरासत में लिया। कोतवाली थाने की पुलिस ने इन दोनों को हिरासत में लिए जाने के बाद थाने में लाकर जब इन से सख्ती से पूछताछ की तो इनके निशानदेही पर पुलिस को बच्चों के गले से काटे गए सोने के 10 लॉकेट बरामद हुए और उनके अवैध खून के कारोबार में शामिल होने का पता चला।

पटना पुलिस ने बरामद किया अवैध खून के 42 पैकेट….

पुलिस ने इन शातिरों की गिरफ्तारी के बाद शुक्रवार की रात इन दोनों के निशानदेही पर पत्रकार नगर थाना क्षेत्र के एक मकान में छापेमारी की तो पुलिस को इस मकान से अवैध ढंग से फ्रिज में रखे गए कुल 42 अवैध खून के पैकेट बरामद हुए। पत्रकार नगर थाना क्षेत्र में शनिवार की रात कोतवाली थाना क्षेत्र इलाके से पकड़े गए दोनों साथियों की गिरफ्तारी के बाद इन दोनों की निशानदेही पर हुए संजय नगर इलाके में छापेमारी के दौरान इस गिरोह के मुख्य सरगना अजय द्विवेदी के कमरे के फ्रिज में रखे कुल 42 अवैध खून के पैकेट को पुलिस ने बरामद किया।

बच्चो को बना रहे हैं इस घिनौने काम का शिकार….

इस पूरे मामले की जानकारी अधिकारियों को दी गई है। घटना के अस्तित्व में आने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि यह लॉकेट कटवा गिरोह अवैध खून के कारोबार से भी जुड़ा हुआ प्रतीत होता है। जिसकी छानबीन में कोतवाली थाने की पुलिस के साथ-साथ पत्रकार नगर थाने की पुलिस भी जुट गई है। मिली जानकारी के अनुसार पटना में खानाबदोश और नशे की लत के शिकार बच्चों का खून निकाला जाता था। कंकड़बाग के एक निजी अस्पताल में लैब टेक्नीशियन के रूप में काम कर चुके दो लोग बच्चों को 300 रुपए देकर उनका खून निकाल रहे थे।

कम वेतन से नही हुआ गुजारा तो शुरू कर दिया खून का काला बाजारी….

गिरफ्तार संतोष कुमार और अजय द्विवेदी ने कम वेतन मिलने के कारण निजी अस्पताल की नौकरी छोड़ दी। फिर दोनों ने अपने कमरे में ही फर्जी ब्लड बैंक खोल लिया था। यहां पर ये दोनो खानाबदोश बच्चों को 300-400 रुपए देकर उनका खून निकालते थे। फिर खुद ही उसे पैक कर अपने फ्रिज में रखते थे और मांग आने पर मोटी रकम पर बेच दिया करते थे। ये दोनों पटना जंक्शन, राजेंद्र नगर टर्मिनल, बस स्टैंड, गांधी मैदान, महावीर मंदिर एवं अन्य जगहों पर भटकने वाले बच्चों और नशा करने वाले बच्चों को अपने झांसे में लेते थे।