
पूर्व एवं वर्तमान सांसद- विधायक, विधान पार्षद आदि की सुरक्षा में तैनात बाडीगार्ड को हटना नहीं होगा। वह तबादले के बाद भी माननीय की सुरक्षा में सेवा देते रहेंगे। एडीजी (सुरक्षा) बच्चुसिंह मीणा ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है।
एडीजीपी ने गृह विभाग के नियम का हवाला देते हुए वैसे पुलिसकर्मियों को विरमित नहीं करने को कहा है, जो माननीय की इच्छा पर उनकी सुरक्षा में तैनात हैं। पिछले दिनों पुलिस मुख्यालय ने एक आदेश जारी कर रेंज और जिला में तैनाती की अवधि पूरी करने वाले पुलिसकर्मियों के तबादले कर दिये थे। इसमें विभिन्न माननीय के अंगरक्षक भी शामिल थे।
बॉडीगार्ड को नवीन तैनाती वाले जिला में ज्वाइनिंग करने के निर्देश दे रहा था। कई माननीयों ने इस संबंध में मुख्यालय को पत्र लिख कर मांग की थी कि सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों का तबादला रद्द कर दिया जाये अथवा उनको विरमित न किया जाये। एडीजी सुरक्षा ने इन पत्रों पर संज्ञान लिया।
2017 में गृह विभाग के उस आदेश को आधार बनाया, जिसमें सांसद, विधायक या विधान पार्षद अपने निर्वाचन क्षेत्र के अलावा किसी अन्य जिले से अंगरक्षक के तौर पर पुलिसकर्मी की तैनाती का अनुरोध कर सकते हैं। इसमें बाध्यता है कि बॉडीगार्ड का स्थानांतरण अथवा प्रतिनियुक्ति उस जिला में किया जायेगा, जहां से सांसद अथवा विधायक निर्वाचित हुए हैं। माननीय का सेवाकाल खत्म होने अथवा उनके द्वारा बाडीगार्ड को हटाये जाने पर जवान की प्रतिनियुक्ति अपने आप रद्द हो जायेगी।
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