बिहार में जल जीवन हरियाणी मिशन की सफलता के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं. बीजेपी की ओर से नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद जेडीयू अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है. इसको लेकर राजगीर में दो दिवसीय जेडीयू कार्यकर्ता सम्मेलन भी हुआ इसके बाद मुख्यमंत्री आवास पर पार्टी के सभी सांसदों, विधायकों, विधान पार्षदों के साथ ही जिलाध्यक्षों के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बैठक की थी. इस बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव पर चर्चा हुई थी.
बदल गए समीकरण
बिहार विधानसभा चुनाव में जेडीयू की नजर आरजेडी की जीती हुई सीटों पर है. अभी आरजेडी के कई विधायक पार्टी के बगावत कर नीतीश कुमार के पक्ष में बयान जारी कर रहे है. इससे साफ हो रहा है कि आरजेडी के कई विधायक जेडीयू के संपर्क में हैं. गौरतलब है कि 2015 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी के साथ गठबंधन होने की वजह से जेडीयू जहां से उम्मीदवार नहीं उतार पाया था, वहां नीतीश की वजह से तेजस्वी यादव की पार्टी की जीत मिली थी. लेकिन अब जबकि समीकरण बदल गए हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा हैं. यही वजह है कि जेडीयू की नजर आरजेडी की जीती हुई सीटों पर है, जो कि तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी के लिए घातक साबित हो सकती है.
आरजेडी विधायकों के पाल बदलने से होगा फायदा
दरअसल, जेडीयू की नजर आरजेडी के साथ 2015 के विधानसभा चुनाव में जीती हुई सीट पर तभी से टिकी है जब से वह महागठबंधन से अलग होकर एनडीए के साथ आयी है. जेडीयू 2015 के विधानसभा चुनाव में जहां से हारा था वहां के अधिकांश सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. लेकिन जेडीयू के एनडीए में शामिल होने के बाद सीटों का समीकरण बदल गया है. ऐसे में बीजेपी और जेडीयू में 2010 के फॉर्मूले पर सीटों का बंटवारा तय माना जा रहा है. लेकिन हाल के दिनों में कुछ आरजेडी विधायकों के पाल बदलने से जेडीयू को फायदा होने की उम्मीद है. इसको लेकर जेडीयू का एक गुट इसपर काम करना शुरू कर दिया है. आरजेडी के कई विधायकों का कहना है कि नीतीश कुमार का सीएम पद का चेहरा होने के कारण विधायकों को फायदा हुआ था लेकिन इस बार एनडीए के साथ जेडीयू के जाने से कई विधायकों को हार का सामना करना पड़ सकता है.
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