बोडो समझौते के जश्न में शामिल हुए पीएम मोदी, कहा डंडे मारने की बात करने वाले से सुरक्षा कवच देगी माताओं का प्यार

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीएए के खिलाफ जारी प्रदर्शनों के बीच पहली बार असम के दौरे पर पहुंचे. वे बोडो बाहुल्य कोकराझार में समझौते के जश्न में शामिल हुए. रैली को संबोधित करते हुए कहा कि यहां की माताओं का प्यार मुझे डंडे मारने की बात करने वाले से सुरक्षा कवच देगा. दिल्ली की रैली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अगले छह महीनों में युवाओं के डंडे मारने की बात कही थी, जिसपर नरेंद्र मोदी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि कभी-कभी लोग मुझे डंडा मारने की बातें करते हैं. लेकिन जिस मोदी को इतनी बड़ी मात्रा में माताओं-बहनों का सुरक्षा कवच मिला हो, उस पर कितने ही डंडे गिर जाएं उसे कुछ नहीं हो सकता.

आपकी भागीदारी से बढ़ा आत्मविश्वास

मोदी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि ’’मैंने जीवन में कई रैलियां देखी हैं, लेकिन कभी इतना विशाल जनसागर देखने का सौभाग्य नहीं मिला. आपकी जनभागीदारी देखते हुए मेरा आत्मविश्वास और बढ़ गया है. मैं दिल की गहराई से आपको गले लगाने आया हूं. असम में इतने दशकों तक यहां गोलियां चलती रहीं, आज शांति स्थापित हुई. न्यू इंडिया का रास्ता खुल गया है. आज का दिन उन हजारों शहीदों को याद करने का है, जिन्होंने देश के लिए अपने कर्तव्य पथ पर जीवन बलिदान दिया है. बोडोफा, उपेंद्रनाथ और रूपनाथ ब्रह्मजी के योगदान को याद करने का है. इस समझौते में सकरात्मक भूमिका निभाने वाले बोडो स्टूडेंट्स यूनियन के अभिनंदन का दिन है.’’

आपके सहयोग से निकला स्थायी शांति का रास्ता

पीएम मोदी ने कहा कि ’’आपके सहयोग से ही स्थायी शांति का रास्ता निकल पाया है. आज का दिन असम सहित पूरे नॉर्थईस्ट के लिए 21वीं सदी में एक नई शुरुआत और नए सवेरे का एक नई प्रेरणा का स्वागत करने का अवसर है. ’’आज वो माताएं मुझे आशीर्वाद दे रही हैं, जिनका बेटा कभी बंदूक लेकर घूमता था. महात्मा गांधी दुनिया के लिए हिंसा का रास्ता छोड़कर अहिंसा का रास्ता अपनाने की प्रेरणा है. गांधीजी कहते थे कि अहिंसा की राह पर चलते हुए हमें जो भी प्राप्त होता है वो सभी को स्वीकर होता है. असम में कई साथियों ने शांति के साथ लोकतंत्र को स्वीकार किया है।’’

1500 उग्रवादियों ने किया था आत्मसमर्पण

पीएम मोदी ने कहा कि आज बोडो आंदोलन से जुड़ी हर मांग खत्म हो चुकी है. 1993 में जो समझौता हुआ था, उसके बाद पूरी शांति स्थापित नहीं हो पाई. अब केंद्र, असम सरकार और बोडो आंदोलन से जुड़े संगठनों ने जिस अकॉर्ड पर साइन किया है वह अभूतपूर्व है. मोदी ने गुरुवार को ट्वीट में बोडो समझौते का जिक्र कर लिखा- अब असम में शांति और विकास का नया रास्ता खुल गया है. पिछले दिनों असम सरकार, केंद्रीय गृह मंत्रालय और प्रतिबंधित नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के बीच दिल्ली में तिहरा समझौता हुआ था. इसके तहत 1500 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया, जो करीब 50 साल से अलग बोडोलैंड की मांग कर रहे थे.

आपके दरवाजे खड़ी अब दिल्ली

पहले नॉर्थईस्ट के राज्यों के साथ केंद्र सरकार भेदभाव करती थी लेकिन एनडीए की सरकार आने के बाद पूर्वोतर के राज्यों पर विशेष ध्यान दिया. लेकिन अब उन्हें विकास का इंजन माना जा रहा है. पहले दिल्ली को नॉर्थईस्ट से दूर समझा जाता था. लेकिन अब दिल्ली आपके दरवाजे पर खड़ी है