कॉलेज ऑफ कॉमर्स और सेवी की ओर से एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन, बोले तपन कुमार शांडिल्य- वित्तीय नियोजन एक प्रक्रिया है, उत्पाद नहीं

पटना में कॉलेज ऑफ कॉमर्स के अर्थशास्त्र विभाग और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की ओर से एकदिवसीय कार्यशाला कार्यक्रम का आयोजन किया गया. सेबी के असिस्टेंट जनरल मैनेजर एवं ऑफिसर इंचार्ज सुमन कुमार ने डायमेंशन ऑफ फाइनेंसियल प्लानिंग पर अपना व्याख्यान दिया. उन्होंने कहा कि फाइनेंसियल प्लानिंग एक ओंगोइंग प्रोसेस है। यह निरंतर प्रक्रिया है एवं सही निर्णय लेकर लाभ को प्राप्त किया जा सकता है। वित्तीय नियोजन बनाने के लिए सबसे पहले अपने लक्ष्य को स्थापित करना होगा। पहले लोगों को पता होना चाहिए कि भविष्य में कितने वित्त की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि योजना मनुष्य की सबसे बड़ी जरूरतों में से एक है।

तीन आयाम तरलता, सुरक्षा और वापसी पर ध्यान देने की जरूरत

सुमन कुमार ने सेबी और इंडियन सिक्योरिटीज मार्केट की बात की। खुशहाल जीवन के लिए वित्तीय योजना एक महत्वपूर्ण घटक है। किसी भी प्रकार के निवेश को करने के पहले तीन आयामों पर ध्यान देना होगा जिनमें तरलता, सुरक्षा और वापसी है। निवेश से संबंधित अपने व्याख्यान में उन्होंने धन के सामयिक मूल्य, विश्व के आठ आश्चर्य, जादुई संख्या 72, मुद्रास्फीति दीमक और निवेश विविधता की चर्चा की। उनके व्याख्यान का मुख्य बिंदु किसी भी निवेश को प्रभावपूर्ण बनाने के लिए पांच तत्त्वों विशिष्टता, औसती, प्राप्ति, वास्तविकता, समय सीमा पर विशेष ध्यान देना है। उन्होंने सेबी मैंडेट,डेरिवेटिव्स, म्यूच्यूअल फंड आदि की भी चर्चा की।

वित्तीय जागरूकता पर डाला प्रकाश

वहीं कॉलेज ऑफ कॉमर्स के प्रिसिंपल प्रोफेसर तपन कुमार शांडिल्य ने बताया कि वित्तीय नियोजन एक प्रक्रिया है, उत्पाद नहीं। अपने व्याख्यान में उन्होंने आज के दौर में वित्तीय जागरूकता पर प्रकाश डाला और उधम पूंजी, मुद्रा के विनिमय मूल्य और सीमांत धन की चर्चा की। फाइनेंशियल प्लानिंग में दूसरा चरण लंबी और छोटी अवधि के लक्ष्यों का पता लगाना है।

वहीं कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर डॉ० मृदुला कुमारी ने आज की कार्यशाला का संचालन किया और बताया कि वित्तीय साक्षरता तथा वित्तीय शिक्षा को व्यापक रूप से इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है कि वित्त बाजार से उसके उत्पादों, खासकर उसके प्रतिफलों एवं जोखिमों के ज्ञान के साथ, लोगों को परिचित कराना है ताकि वे अपने विकल्पों का चयन अच्छी तरह से समझ-बूझकर कर सकें। वित्तीय साक्षरता को वित्तीय समावेशन तथा अंततः वित्तीय स्थायित्व को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

 

कार्यशाला में कई प्रोफेसर, छात्र, छात्राएं रहे उपस्थित

इस कार्यशाला की समाप्ति प्रोफेसर डॉ० रश्मि अखौरी, विभागाध्यक्ष, अर्थशास्त्र विभाग के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। इस कार्यशाला में छात्र एवं छात्राएं और विशेष अतिथि गण उपस्थित थे। आज के कार्यशाला में अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर उमेश प्रसाद, डॉ० प्रवीण कुमार, प्रोफेसर के० एन० यादव, प्रोफेसर रमेश चौधरी, प्रोफेसर संजय कुमार पांडे, डॉ० बैकुंठ राय, प्रोफेसर विवेक कुमार और एमबीए विभाग की सुश्री विनीता एवं चंदन कुमार इत्यादि भी उपस्थित थे। अर्थशास्त्र एवं एमबीए विभाग के छात्र एवं छात्राओं के सहभागिता से इस कार्यशाला का सफलतापूर्वक समापन हुआ।