दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित मैगजीन में से एक टाइम ने साल 2020 के सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की सूची जारी कर दी है। टाइम मैगजीन हर साल ये लिस्ट जारी करती है, इसमें अलग-अलग क्षेत्र के व्यक्तियों को शामिल किया जाता है। इस सूची में 100 ऐसे प्रभावशाली नेताओं, दिग्गजों, कलाकारों और आइकन शामिल है जिन्होंने अपने क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है. इस सूची में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बॉलीवुड़ अभिनेता आयुष्मान खुराना, शाहीन बाग की दादी बिल्कीस, अल्फाबेट और गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई और प्रोफेसर रविंद्र गुप्ता के नाम शामिल है. टाइम की इस सूची में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, अमेरिकी डॉक्टर ऐथोनी फौसी, नासा के अंतरिक्ष यात्री क्रिस्टीना कोच और जेसिका मीर समेत अन्य लोगों को नाम शामिल है.
इस सूची में एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम शामिल किया गया है लेकिन दिलचस्प बात यह है कि इस बार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का नाम लिखा गया है।
विश्व में सबसे कठिन फैसलों के लिए जाने जाते हैं पीएम मोदी
पीएम नरेंद्र मोदी भारत समेत पूरे विश्व में सबसे कठिन और विवादस्पद फैसलों में से कुछ फैसलों के लेने के लिए जाना जाता है. नोटबंदी से लेकर कश्मीर में धारा 370 खत्म करने का फैसला खत्म करने जैसा कठिन फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिया है. उनकी सरकार हाल ही में एक नये नागरिकता कानून को लाने वाली थी जिसके बारे में आलोचक मानते हैं कि इस कानून से भारत में मुसलमानों के साथ भेद-भाव होता. टाइम के एडिटर ने प्रधानमंत्री मोदी के बारे में लिखा है कि आज तक देश में जितने भी प्रधानमंत्री आये वो देश की 80 फीसदी आबादी हिंदू वर्ग से आते हैं. पर नरेंद्र ने इस प्रकार शासन किया कि जैसे कुछ भी मायने नहीं रखता है.
बिलकिस, शाहीन बाग की दादी
शाहीन बाग में धरने पर बैठने वाली बुजुर्ग महिला दुनिया के 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल हुई है. 82 वर्ष की बिलकिस प्रदर्शन के दौरान लगातार अपने प्रतिरोध के कारण एक प्रमुख चेहरा बनी. वह उन कई महिलाओं में से एक थी जो अपने घर से निकलती थी और रात भर शाहीन बाग में विरोध में बैठती थी.
आयुष्मान खुराना
आयुष्मान खुराना की मर्दानगी के स्टीरियोटाइप को तोड़ने वाली फिल्मों में अभिनय करने के लिए सराहना की गयी. उन्होंने अपनी पहली फिल्म विक्की डोनर से ही लोगों का ध्यान आकर्षित कर लिया था. इसके बाद फिल्म बाला में उन्होंने बाल की समस्याओं को संबोधित किया. उनके बारे में दीपिका पादुकोण ने कहा कि उनका यह प्रभाव इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने ऐसी भूमिकाएं निभाई जहां पुरुष प्रधान भूमिकाएं अक्सर रूढ़ीवादी पुरुषवाद जाल में फंस जाती है. वहीं आयुष्मान ने उन रूढ़ियों को सफलतापूर्वक चुनौती देने वाले किरदारों में बदल दिया.
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