रिजल्ट फर्जीवाड़े कर बने 302 डॉक्टर की होगी गिरफ्तारी

मुजफ्फरपुर, 15 साल बाद पुलिस ने बैचलर होमियोपैथिक मेडिकल साइंस परीक्षा 2006 की रिजल्ट शीट में टेंपरिंग कर होमियोपैथिक चिकित्सक बने 302 छात्रों की तलाश शुरू की है। अलग-अलग राज्यों के इन आरोपित छात्रों को दबोचने के लिए एसआईटी बनाने की कवायद है। इसके लिए एसएसपी जयंतकांत ने विवि थानेदार रामनाथ प्रसाद को निर्देश दिया है। विवि के परीक्षा विभाग से बीएचएमएस परीक्षा 2006 के आरोपित 302 छात्रों के नाम-पते के साथ ब्योरा लेना है। इन सभी की मार्क्स फाइल में टेंपरिंग मिली थी।

बीआरए बिहार विवि में बीएचएमएस के रिजल्ट फर्जीवाड़े की आंतरिक जांच के बाद तत्कालीन रजिस्ट्रार डॉ. एके झा ने विवि थाने में 21 अप्रैल 2007 को एफआईआर दर्ज कराई थी। 15 साल से मामला दबा हुआ था। कांड में विवि के तत्कालीन सहायक सूचना पदाधिकारी नरेश कुमार, मुकुंद सिंह, तत्कालीन परीक्षा सहायक अमरेश कुमार, तत्कालीन टंकक प्रेम कुमार झा, चंद्रकांत प्रसाद, देवदत कामत, ललित कुमार व तत्कालीन परीक्षा ओएसडी आनंद स्वरूप सिंह को भी आरोपित बनाया गया था। एफआईआर के बाद मामले को थाने के लंबित पुलिंदे में बांधकर रख दिया गया था। इस साल फरवरी में एसएसपी ने इस कांड की समीक्षा की, जिसके बाद आरोपितों की गिरफ्तारी की कवायद शुरू हुई।

10 मार्च को मामले में नामजद आरोपित औराई के तत्कालीन परीक्षा सहायक अमरेश कुमार को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। अब आगे की कार्रवाई के तहत एसएसपी ने रिजल्ट फर्जीवाड़े के लाभान्वित छात्रों की गिरफ्तारी की कवायद शुरू की है। इनमें जम्मू-कश्मीर से लेकर महाराष्ट्र तक के छात्र हैं। इसलिए सभी छात्रों के सत्यापन और उनकी गिरफ्तारी के लिए अलग-अलग पुलिस अधिकारियों की टीम बनाई जानी है। अकेले कांड के आईओ स्तर से कार्रवाई पूरी होने में लंबा समय लग सकता है। विवि थानेदार रामनाथ प्रसाद ने बताया कि विवि के परीक्षा विभाग को पत्र भेजकर सभी लाभांवित छात्रों का पूरा ब्योरा मांगा गया है, जिसे समीक्षा के लिए एसएसपी के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

जयंतकांत, एसएसपी ने बताया कि लंबे समय से यह कांड लंबित चल रहा है। रिजल्ट फर्जीवाड़े में लाभांवित होने वाले 302 छात्र भी आरोपित हैं। इन आरोपितों के सत्यापन के बाद गिरफ्तारी की जाएगी। जरूरी कागजी प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसके लिए विशेष टीम बनाई जाएगी।