विश्व स्वास्थ्य संगठन के महामारी विशेषज्ञ डॉ मारिया वेन ने कहा कि ‘बिना लक्षण वाले यानी एसिम्प्टोमैटिक मरीजों से भी संक्रमण फैल सकता है लेकिन दुनियाभर में जिस तरह मामले बढ़ रहे हैं उसकी वजह ये मरीज नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामले दुर्लभ हैं। ’विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक उनके पास जो आंकड़े हैं, उस के आधार पर यह बात साबित होती है। पिछले कुछ समय से शोधकर्ता एसिम्प्टोमैटिक मरीजों पर संदेह जता रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसे मरीज बीमारी से निपटने में परेशानी बने हुए हैं। मारिया के मुताबिक, बगैर लक्षण वाले जो मामले सामने आते हैं, दरअसल उनमें से अमूमन हल्के लक्षण वाले होते हैं। इनमें से कई को बुखार, खांसी और सांस लेने में तकलीफ नहीं होती, लेकिन कुछ हल्के लक्षण होते हैं। गौरतलब है कि दुनियाभर में 71 लाख लोग इससे संक्रमित हैं।
40 फीसदी मामलों में लोगों के बीमार होने से पहले फैला संक्रमण
संक्रामक रोग विशेषज्ञ एवं येल यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर मनीषा जुठानी ने कहा, अप्रैल में एक अध्ययन में यह सामने आया था कि लक्षण दिखाई देने से दो तीन पहले तक लोग दूसरे को संक्रमित कर सकते हैं। 40 फीसदी कोरोना संक्रमण लोगों के बीमार पड़ने से पहले फैला। ऐसे लोग बिना लक्षण वाले नहीं थे, बल्कि ये लोग बीमार होने से पहले संक्रमण फैला रहे थे। लिहाज़ा, इससे मालूम पड़ता है कि अगर हम क्वारंटीन हों और साथही संक्रमित लोगों का पता लगा लें, तो बीमारी को रोका जा सकता है।
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