रोजगार के सरकारी दावों के बीच बिहार में तेजी से बढ़ रहे बेरोजगारी दर, खतरे का संकेत है

आंकड़ो से पता चलता है कि बिहार की बेरोजगारी दुर्लभ राष्ट्रीय औसत से लगभग दोगुनी है। भारत के पूर्वी राज्य बिहार, जो देश के सबसे बड़े और सबसे गरीब राज्यों में से एक है, ने जून 2019 में समाप्त होने वाली बेरोजगारी दर में तेजी से वृद्धि दर्ज की है और ये राष्ट्रीय बेरोजगारी दर का लगभग दोगुनी हो गई है।गौरतलब है कि ऐसा तब हुआ है जबकि चुनावों में केवल कुछ महीने बचे हैं और मुख्यमंत्री लगातार रोज़गार के अवसर बढ़ाने की बात कर रहे हैं।

मंगलवार को जारी किया गया नवीनतम राज्य बेरोजगारी का आंकड़ा एक लैगिंग संकेतक है और वर्तमान बेरोजगारी दर बहुत अधिक होने की उम्मीद थी क्योंकि कोरोनो वायरस के प्रसार पर अंकुश लगाने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन के कारण लाखों बेरोजगार मजदूर घर लौट आए।
सरकारी आंकड़ों से यह मालूम होता है कि बिहार में बेरोजगारी जून 2019 में समाप्त वर्ष के दौरान 3 प्रतिशत से बढ़कर 10.2% हो गई, यहां तक कि देश में कुल बेरोजगारी 5.8% तक धीमी है,जबकि एक साल पहले यह 6.1% थी।

अगर बात हम देश के तीसरी सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य बिहार की करें तो यह हालत तब है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), सहयोगी क्षेत्रीय पार्टी दल जनता दल (यूनाइटेड) के साथ इस मिलकर साल अक्टूबर में चुनाव में उतरने की उम्मीद है।
और अभी इन दोनो पार्टियों की संयुक्त रूप से सरकार में भागीदारी है।

गृह मंत्री अमित शाह ने की पिछले सप्ताह भाजपा के चुनाव अभियान की शुरुआत

वहीं भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले सप्ताह भाजपा के चुनाव अभियान की शुरुआत करते हुए यह दावा किया था कि गठबंधन ने राज्य में विकास को आगे बढ़ाया है।

कृषि पर निर्भर अर्थव्यवस्था

यदि हम बिहार की अर्थव्यवस्था की बात करें तो यह काफी हद तक कृषि पर निर्भर है जबकि औद्योगीकरण की कम दर ने लाखों मजदूरों को काम की तलाश में देश के विभिन्न हिस्सों में स्थानांतरित कर दिया है।

बिहार में बेरोजगारी देश के सभी बड़े राज्यों में सबसे अधिक

एक निजी रिसर्च हाउस CMIE के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि बिहार में बेरोजगारी देश के सभी बड़े राज्यों में सबसे अधिक थी, जबकि झारखंड और छत्तीसगढ़ के छोटे पूर्वी राज्यों में उच्चतर बेरोजगारी थी।

गौरतलब है कि अर्थशास्त्रियों ने सरकार से लंबे समय से यह शिकायत करते रहे है कि भारत का बेरोज़गारी डेटा पुराना है। शायद इसका कारण सरकार का महीने-वार रोजगार के आंकड़े जारी नहीं करना रहा है।