राष्ट्रीय स्वाभिमान दिवस के मंच से नीतीश कुमार ने राजपूत समाज के लोगों को यह भरोसा दिया था कि पटना में महाराणा प्रताप की प्रतिमा स्थापित की जाएगी, तीन साल बाद इस वादे को पूरा किया गया…

इन दिनों सवर्णों की राजनीति भी परवान चढ़ रही है। पिछले दिनों बीजेपी से लेकर अन्य दलों में भूमिहार बिरादरी को लेकर खूब सियासी कार्ड खेला गया लेकिन अब राजपूत समाज को लेकर जेडीयू में हलचल मची हुई है। गुरुवार को पटना में महाराणा प्रताप की प्रतिमा के अनावरण के मौके से लेकर 23 जनवरी को राजधानी में आयोजित होने वाले राष्ट्रीय स्वाभिमान दिवस ने सियासी पारा ऊपर चढ़ा रखा है।

तीन साल पहले पटना के मिलर स्कूल ग्राउंड में पहली बार महाराणा प्रताप की याद में राष्ट्रीय स्वाभिमान दिवस का आयोजन किया गया था। जेडीयू एमएलसी संजय सिंह ने इस आयोजन की रूपरेखा तय की थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस कार्यक्रम में शामिल हुए थे और तब नीतीश कुमार के सामने ही यह मांग रखी गई थी कि पटना में महाराणा प्रताप की प्रतिमा लगाई जाए। राष्ट्रीय स्वाभिमान दिवस के मंच से नीतीश कुमार ने राजपूत समाज के लोगों को यह भरोसा दिया था कि पटना में महाराणा प्रताप की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। तीन साल बाद नीतीश कुमार ने अपने इस वादे को पूरा किया है और यहीं से जेडीयू के अंदर क्रेडिट लेने के लिए होड़ मच गई है। साल 2005 से नीतीश कुमार लगातार सत्ता में रहे और उनकी कैबिनेट में राजपूत बिरादरी से आने वाले कई चेहरे शामिल होते रहे लेकिन किसी ने इस तरह की कोई पहल नहीं की। नीतीश कुमार से पहले लालू राबड़ी के शासनकाल में भी कैबिनेट के अंदर राजपूत बिरादरी से आने वाले चेहरों को जगह मिलती रही लेकिन महाराणा प्रताप को लेकर किसी ने इस तरह की कोई ठोस पहल नहीं की थी लेकिन अब जबकि राजधानी पटना में महाराणा प्रताप की प्रतिमा स्थापित हो चुकी है इसका क्रेडिट लेने के लिए जेडीयू के ही उन चेहरों में होड़ मच गई है जो या तो कैबिनेट में शामिल हैं या नीतीश कुमार के कैबिनेट का हिस्सा रह चुके हैं।