राजनीतिक गलियारों में सवाल उठ रहे हैं कि क्या नीतीश एक बार फिर ‘अंतरात्मा’ की आवाज सुन RJD से नाता तोड़ लेंगे?

  लैंड फॉर जॉब स्कैम में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर जांच एजेंसियों का शिकंजा कसता जा रहा है। तेजस्वी यादव ने पहले तीन बार CBI के समन को नजरअंदाज किया। इसके बाद बीते गुरुवार को जांच एजेंसी ने दिल्ली हाईकोर्ट को आश्वासन दिया कि इस महीने उन्हें इस केस में गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। लिहाजा तेजस्वी अब 25 मार्च को सुबह 10:30 बजे नई दिल्ली में सीबीआई के सामने पेश होंगे।  जब 2017 में तेजस्वी यादव पर IRCTC घोटाले में भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, तो उस वक्त नीतीश कुमार ने अपनी “अंतरात्मा” की आवाज सुनते हुए RJD से गठबंधन तोड़ दिया था और BJP के साथ दोबारा सरकार बनाई थी।

यहां यह जानना जरूरी है कि नीतीश पिछले लगभग 2 महीनों से जबर्दस्त दबाव में थे, जब से आरजेडी नेताओं ने राज्य में सत्ता का हस्तांतरण और तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने की मांग शुरू की थी। आरजेडी के कई नेताओं ने पिछले साल अगस्त में राज्य में महागठबंधन की सरकार बनने पर नीतीश और राजद के बीच सीक्रेट डील का हवाला दिया था, जिसके तहत दावा किया गया था कि नीतीश ने 2023 की शुरुआत तक तेजस्वी को सत्ता सौंपने का आश्वासन दिया था।

महागठबंधन सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार ने ऐलान किया था कि वह देश का दौरा करेंगे और विपक्षी एकजुटता बनाएंगे, जिससे यह संकेत भी मिले थे कि वह 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष की तरफ से पीएम का चेहरा बनना चाहते हैं, लेकिन जब किसी भी विपक्षी दल ने नीतीश कुमार का इसे लेकर समर्थन नहीं किया, तो नीतीश ने अपना प्लान बदला और बिहार में ही 2025 तक मुख्यमंत्री बने रहने का इरादा कर लिया।

हालांकि, लालू यादव के कुनबे के खिलाफ हाल के दिनों में भ्रष्टाचार के आरोप लगने से RJD खेमे के तरफ से सत्ता हस्तांतरण और तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की मांगों पर भी लगाम लग गई है। जिससे  नीतीश कुमार ने निश्चित रूप से राहत की सांस ली होगी। नीतीश कुमार ने भी तेजस्वी और लालू परिवार के खिलाफ चल रही जांच से खुद को अलग कर लिया है। जिससे एक बार फिर उनके “अंतरात्मा” को सुनने के बारे में अटकलें लगाई जा रही हैं, जैसा उन्होंने 2017 में किया था।