कृषि आधारित उद्योग को तत्काल शुरू करने से दूर रह सकती है आर्थिक मंदी-तपन कुमार शांडिल्य

कोविड-19 वैश्विक महामारी से असंगठित क्षेत्र के कामगारों की वर्तमान समस्याओं और इसके समाधान के लिए कृषि आधारित उद्योग को तत्काल प्रारम्भ करने की जरूरत है। इससे आर्थिक मंदी से बचा जा सकता है। इस उपाय में सबसे ज्यादा सहायक राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार साबित हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा ‘जान है तो जहान है’ का नारा भी इस कठिन परिस्थिति में काफी महत्वपूर्ण है। उक्त बातें कुशल प्रशाशक तथा ख्याति प्राप्त अर्थशास्त्री और वर्तमान में कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स आर्ट्स एंड साइंस, पटना के प्राचार्य प्रो. तपन कुमार शांडिल्य ने एक वेबिनार के दौरान कही।

डॉ. सुनीता राय ने की वेबिनार की अध्यक्षता

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ सुनीता राय न कोविड -19 के प्रभाव से प्रभावित ग्रामीण अर्थव्यवस्था तथा महिला श्रमिकों के वास्तविक स्तिथियों से रु-ब-रु करवाया। इतना ही नहीं, महिला श्रमिक जो असंगठित क्षेत्र में कार्य कर रही हैं, उनकी मानसिक तथा शारीरिक स्तिथि के परिपेक्ष्य में तथा आने वाले कल की दशा को उजागर करते हुए उसके समुचित उपायों को सरकार , आम जान तथा उद्यमियों के लिए उजागर किया। इनके द्वारा दिए गए तथ्यों ने कई छात्र -छात्राओं , शिक्षकों तथा विद्वानों को जोश, जूनून तथा उमंग से ओत -पोत कर दिया।

मंदी से बचाने के लिए डॉ. मंजू भगत ने बताईं अनेक उपाय

इस कार्यक्रम की गेस्ट ऑफ़ ऑनर प्रो.(डॉ) मंजू भगत , बी.आई .टी मेसरा , राँची की हैं । श्रम, कल्याण एवं उद्योग के विकास तथा महिला से सम्बंधित विषय पर अनेकों शोध हैं जो उन्हें एक ख्याति प्राप्त विदुशी के रूप में विख्यात बनाती हैं। इस कार्यक्रम में अपने वक्तव्य में उन्होंने महिला श्रमिक पर कोविड-19 के प्रभाव का विस्तृत ब्यौरा दिया। इसके प्रभाव पर एक प्रायोगिक जांच करते हुए राँची से 18 किलोमीटर दूरकी दुरी पर स्थित एक गांव की महिला श्रमिकों की वास्तु स्तिथि से कराया। इसके साथ साथ अर्थव्यवस्था को मंदी एवं वैश्विक महामारी से बचाते हुए उसे सही रास्ते पर लाने के अनेकों उपाय भी सुझाए।

सही समय पर सही कदम जरूरी-डॉ वर्णा गांगुली

डॉ. वर्णा गांगुली ने अपने वक्तव्य में कोविड-19 तथा महिला, दोनों को आमने सामने रख कर दिखाया। आगे चलकर उन्होंने पीपीपी के माध्यम से भी महिला की बद से बदतर स्तिथि का रेखांकन किया। उन्होंने ये भी चेताया की अगर समय रहते इस ओर कारगर कदम नहीं उठाये गए तो ब्व्टप्क्-19 हमारी आधी जनसँख्या को निगल जाएगी। अपने पीपीपी में उन्होंने महिला की वास्तविक स्तिथि तथा कोविड-19 से बचने के उपायों को साथ साथ दिखाया।
सेमिनार के आखिरी वक्त के रूप में डॉ. नवारुण गांगुली, निदेशक ओ.एन.ओ.एच. फॉउंडेशन, पटना ने लैंगिक बजट पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने महिलाओं के कल्याण एवं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए महिलाओं के लिए विशेष बजट की वकालत की।

इस कार्यक्रम में सैंकड़ो छात्र -छात्राओं तथा विद्वानों ने भाग लिया। मुख्य रूप से विभाग के शिक्षक डॉ. शशि गुप्ता, डॉ. रिपुंजय कुमार, डॉ. सुप्रिया ने भाग लिया। इस कार्यक्रम के संचालन से लेकर धन्यवाद ज्ञापन तक का कार्य डॉ राकेश रंजन द्वारा निष्पादित किया गया।