
पटना, बिहार के छह जिलों के पानी में यूरेनियम की मात्रा मानक से दोगुना से ज्यादा मिली है, जो मानव जीवन के लिए काफी खतरनाक है। दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पानी में यूरेनियम की मात्रा 30 माइक्रोग्राम या उससे कम होनी चाहिए, लेकिन राज्य के कुछ जिलों में 85 माइक्रो ग्राम प्रति लीटर मिली है। इससे मानव स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। पानी में यूरेनियम की मात्रा ज्यादा होने पर कैंसर एवं किडनी की समस्या ज्यादा बढ़ सकती है। इस पर अभी अध्ययन किया जा रहा है।
- इस दिन बिहार के दौरे पर आएंगे BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, देंगे कई बड़े सौगात
- दिल्ली-एनसीआर में भारी बारिश, कई इलाकों में जलभराव;
- Kolkata Doctor Murder:आरजी कर कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल से सीबीआई ने आज फिर की पूछताछ, पुलिस ने दर्ज की FIR
- डॉक्टर दुष्कर्म-हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त,मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल-पुलिस जांच पर उठाए सवाल, CBI को दिया ये निर्देश
- कोलकाता डॉक्टर हत्या को लेकर पटना के चार बड़े अस्पतालों में OPD सेवाएं ठप, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने दे दिया ये बड़ा निर्देश
महावीर कैंसर संस्थान एवं यूनिवर्सिटी आफ मैनचेस्टर के संयुक्त तत्वावधान में यह रिसर्च पिछले एक साल से चल रहा था। महावीर कैंसर संस्थान में रिसर्च करने वाले विज्ञानी एवं बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अध्यक्ष डा. अशोक कुमार घोष का कहना है कि अब तक बिहार के पानी में आर्सेनिक की मात्रा मिलती थी, लेकिन पहली बार प्रदेश के पानी में यूरेनियम मिला है। बिहार में यूरेनियम पटना, नालंदा, नवादा, सारण, सिवान एवं गोपालगंज में मिला है।
श्रोत की खोज में जुटे विज्ञानी
अब तक बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड के जादूगोडा में यूरेनियम पाया जाता था, लेकिन बिहार में पहली बार इस अनुपात में मिला है। विज्ञानी इस बात का पता नहीं लगा पाए हैं कि राज्य के पानी में यूरेनियम कहां से आ रहा है। उस दिशा में रिसर्च का काम अभी चल रहा है। उम्मीद है कि इसके श्रोत को जल्द ही खोज लिया जाएगा।
गंगा के तटवर्ती जिलों में पानी में आर्सेनिक की मात्रा
रिसर्च के अनुसार गंगा के तटवर्ती जिलों में आर्सेनिक की मात्रा मिलती है, इसमें बक्सर से लेकर भागलपुर तक के जिले शामिल हैं। यूरेनियम में कई जिले उससे अलग हैं। खासकर नालंदा एवं नवादा। इन जिलों में आर्सेनिक की मात्रा कभी नहीं पाई गई। ये जिले गंगा के तटवर्ती भी नहीं है। इन जिलों में यूरेनियम की मात्रा मानक से ज्यादा मिलने से विज्ञानी भी हैरान हैं।
मानव व पर्यावरण दोनों के लिए घातक
पटना मेडिकल कालेज एण्ड हास्पिटल (पीएमसीएच) के कैंसर विभाग के अध्यक्ष डा. पीएन पंडित का कहना है कि पानी में मानक से अधिक मात्रा में यूरेनियम मिलने से न केवल मानव जाति, बल्कि पर्यावरण पर भी इसके घातक परिणाम देखे जा सकते हैं। यूरेनियम रेडियो एक्टिव तत्व है। पानी में इसकी मात्रा बढऩा स्वास्थ्य के लिए घातक है। अब देखना है कि इन जिलों में कैंसर के मरीजों की क्या स्थिति है? इस पर आगे काम किया जाएगा।
You must be logged in to post a comment.