पीएमसीएच  की बड़ी लारवाही एक गरीब परिवार पर पिछले 2 सालों से भारी पड़ती नजर आ रही…पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर साहब आर्यन चौधरी ने एक्सीडेंटल डेथ को वार्निंग डेथ बता दिया…जिसके कारन 2 साल बीत जाने के बाद भी पीड़ित परिवार को आज तक मुआवजे की एक पाई नहीं मिल पाई…

बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल का एक बड़ा कारनामा सामने आया है।  एक विधवा मां के दुर्घटना में घायल बेटे को पीएमसीएच के डॉक्टर बचा नहीं सके। लेकिन, डॉक्टरों द्वारा जो पोस्टमार्टम रिपोर्ट दी गई वह मां के लिए जी का जंजाल बन गई।

पीएमसीएच बिहार का सबसे बड़ा अस्पताल है। बिहार सरकार  की आंखों का तारा। यहां इलाज कराने के लिए बिहार के कोने कोने से गरीब तबके के लोग इस उम्मीद के साथ पहुंचते हैं कि उनका बेहतर इलाज होगा। सरकार भी इस हॉस्पिटल पर लाखों करोड़ों रुपए खर्च करती है। अब तो सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल बनाने के लिए निर्माण कार्य भी चल रहा है। आज हम आपको इस हॉस्पिटल की एक ऐसी सच्चाई बताने जा रहे हैं जिससे सबसे बड़े अस्पताल की कार्यशैली पर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।

दरअसल मामला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार  के गृह जिले नालंदा  से जुड़ा हुआ है। हरनौत प्रखंड का 16 वर्षीय बालक बजरंगी पांडे 30 नवंबर 2020 को बारात जाने के क्रम में गंभीर रूप से घायल हो गया था। हालत गंभीर देखते हुए उसे पीएमसीएच रेफर किया गया, जहां 11 दिसंबर को बजरंगी पांडे की मौत हो गई। पीएमसीएच में ही बजरंगी पांडे का पोस्टमार्टम कराया गया लेकिन पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर साहब आर्यन चौधरी ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसकी मौत का कारण जलना बता दिया। यानी डॉक्टर साहब ने एक्सीडेंटल डेथ को वार्निंग डेथ बता दिया।

बजरंगी पांडे की मां मनोरमा देवी विधवा हैं।  पीएमसीएच की बड़ी गलती के कारण 2 साल बीत जाने के बाद भी पीड़ित परिवार को आज तक मुआवजे की एक पाई नहीं मिल पाई है। पीएमसीएच को छोड़ दें तो बाकी के सभी सरकारी रिपोर्ट बजरंगी के साथ सड़क दुर्घटना होने की बात स्वीकार करते हैं। हरनौत प्रखंड के सीओ राजीव रंजन पाठक ने भी बताया कि बजरंगी पांडेय की मौत सड़क दुर्घटना में हुई थी। इस मामले में पीएमसीएच के प्राचार्य विद्यापति चौधरी से जानकारी ली गई जिनके जिनमें पोस्टमार्टम की जिम्मेवारी है। प्रिंसिपल ने कहा कि पीएमसीएच में हर रोज काफी संख्या में पोस्टमार्टम होता है। बजरंगी पांडे की पोस्टमार्टम रिपोर्ट गलत हो गई है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है।

सवाल यही है कि प्रिंसिपल साहब खुद स्वीकार करते हैं कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट गलत है तो फिर बजरंगी पांडे के परिजन दर-दर की ठोकर खाने को क्यों मजबूर है? इस पूरे मामले में पोस्टमार्टम करने वाले प्रिंसेस के सीनियर डॉक्टर आरएन चौधरी के जिम्मे पोस्टमार्टम का बहुत बड़ा काम है। अगर इसी तरीके से उनकी रिपोर्ट गलत होती गई तो समझा जा सकता है कि पीएमसीएच में पोस्टमार्टम कराने वालों की हालत क्या होगी?