आखिर क्यों! मुख्यमंत्री के गृह जिले में जहरीली शराब से हो रही एक के बाद एक कई मौतें, बयां कर रही है बिहार में शराबबंदी की दास्तां।

बिहार में शराबबंदी की कहानी बयां कर रही है नालंदा की घटना। नालंदा में जहरीली शराब पीने से कल तक 5 लोगो के मौत की पुष्टि की गई थी। वहीं आज यह आंकड़ा 10 तक पहुंच चुका है। बिहार में शराबबंदी का दंभ भरने वाले माननीय सुशासन बाबू के दावों में कितनी सत्यता है। इस घटना ने लोगो को उससे भी रूबरू करा दिया है। बिहार में शराबबंदी के बाद जहरीली शराब से हुई मौत का यह मामला कोई नया नहीं है। विभागीय मंत्री सुनील कुमार की आधिकारिक रिपोर्ट की ही माने तो पिछले वर्ष 2021 में जहरीली शराब से मरने वालो की संख्या 40 रही जबकि मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो मरने वालो की संख्या का आंकड़ा 90 को छू गया।

वहीं बात करें वर्ष 2022 की तो नए साल के पहले महीने में ही जहरीली शराब से 10 लोगो की मौत हो चुकी है। जबकि अभी इस महीने के खत्म होने में 14 दिन शेष हैं। ऐसा कहा जाता है की किसी कार्य को अच्छे से और मजबूती से करने में अधिक दिन लगते हैं। पर यहां तो जैसे जैसे दिन बीत रहे हैं। वैसे वैसे बिहार में शराबबंदी की कहानी अलग मोड़ लेते जा रही है।

बिहार में शराबबंदी 1 अप्रैल 2016 को लागू किया गया था। जिससे यह ज्ञात होता है कि बिहार में शराब बंद हुए लगभग 6 साल होने को है। पर बिहार के हर जिले में शराब की आसानी से उपलब्धि को देख कर कोई नही कह सकता कि बिहार में शराब को बंद हुए 6 साल हुए हैं। बिना खौफ के दूसरे राज्यों से तस्कर शराब की तस्करी को अंजाम दे रहे हैं। पुलिस उन्हें पकड़ती भी है पर सख्त कानून के अभाव में कोर्ट से उन्हें बेल मिल जाता है। जिसके बाद वो तस्कर फिर वही खेल खेलना शुरू कर देते हैं। बिहार में शराब बंद कर देने से राज्य को होनेवाला मुनाफा तो खत्म हो गया। पर नही खत्म हुआ तो शराब पीकर हिंसा करने वाले लोगो की संख्या। मुख्यमंत्री ने बिहार में शराब बंदी कानून तो बना दिया पर क्या मुख्यमंत्री इस शराबबंदी के दोषों से वाकिफ भी हैं। जिन युवाओं को आज शिक्षा की जरूरत थी उनके हाथो में आज शराब के कार्टन पड़े हुए हैं। शराब के तस्करी और व्यापार में आज बिहार के ज्यादातर युवा लगे हुए हैं।

शराब बंदी के नाम पर प्रशासन क्या खूब खेला खेलती है। शराब पीने वालो की टेस्टिंग होती है और फिर उन्हें जेल भेज दिया जाता है। जिसके बाद पुलिस ये दावा भी करती है कि हम शराबबंदी कानून के अवहेलना करने वालो के खिलाफ सख्त करवाई कर रहें हैं। पर क्या बिहार में शराब पीने वालो को सिर्फ पकड़ने और सजा देने से बिहार में शराब की बिक्री बंद हो जाएगी। जब राज्य में शराब धड़ले से बीकेगा तो जाहिर है पीने वालो की संख्या भी बढ़ेगी।

आखिर क्यों नहीं हर जिले में शराब की आपूर्ति और तस्करी करने वालो के खिलाफ प्रशासन कारवाई करती है? आज बिहार में शराब के विक्री से ऐसे न जाने कितने लोग है जो इसकी काली कमाई से अर्श से फर्श तक पहुंच गए हैं। इसमें सिर्फ शराब के तस्कर ही नही बल्कि सरकार के बड़े बड़े अधिकारियों का भी खूब विकाश हुआ है।

शराबबंदी ने बढ़ाया नायपालिका का बोझ।

पटना हाई कोर्ट ने साल 2019 में कहा था कि शराबबंदी क़ानून से जुड़े 2 लाख से ज़्यादा मामले न्यायपालिका पर बोझ हैं।
पटना हाईकोर्ट के वरिष्ठ वकील और एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश चन्द्र वर्मा बताते हैं, “इस क़ानून से गंभीर मामलों की सुनवाई पर असर पड़ रहा है। प्रत्येक 100 में से 20 मामले शराब से जुड़े रहते हैं। दूसरा ये कि जो इस क़ानून के तहत जेल में गए वो ज़्यादा पिछड़े और दलित हैं।

शराबबंदी पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कुछ कहा।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने बिहार सरकार की ये दलील खारिज कर दी कि आरोपियों से जब्त की गई शराब की बड़ी खेप को ध्यान में रखते हुए तर्कसंगत जमानत आदेश पारित किए जाने चाहिए। ऐसे आदेश देने के लिए भी दिशानिर्देश तैयार किए जाएं। कोर्ट ने कहा, सिर्फ इन कानूनों से जुड़े मुकदमों ने अदालतों की नाक में दम कर रखा है। कई जज और पीठ दिन भर में कोई और मामला सुन ही नहीं पा रहे हैं।

CJI ने कहा कि ‘आप जानते हैं कि आपके इस बिहार मद्य निषेध और उत्पाद शुल्क अधिनियम, 2016 ने पटना उच्च न्यायालय के कामकाज पर कितना प्रभाव डाला है? वहां दूसरे अपराधों से जुड़े एक मामले को भी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने में एक साल तक लग रहा है क्योंकि सभी अदालतें तो शराब निषेध कानून के उल्लंघन में पकड़े गए आरोपियों की जमानत याचिकाओं से ही भरी हुई हैं। जस्टिस रमणा ने इस कानून के तहत गिरफ्तार लोगों की अग्रिम और नियमि जमानत के मामलों के खिलाफ राज्य सरकार की 40 अपीलें खारिज कर दी।

शराब बंदी को लेकर क्या तर्क देते हैं जदयू के सहयोगी दल।

1.हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी।

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और जदयू के सहयोगी दल हम के अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी नीति में बदलाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बड़े-बड़े अधिकारी, IAS-IPS से लेकर नेता तक शराब पीते हैं। वो रात को 10 बजे बाद शराब पीते हैं और उन्हें कोई गिरफ्तार नहीं करता है। अगर कोई दवा के रूप में थोड़ी शराब लेता है तो कोई गलत नहीं है।

जीतनराम मांझी ने आगे कहा कि शराबबंदी कानून की आड़ में गरीबों को पकड़ कर जेल में डाला जाता रहा है, ऐसा करना गलत है। थोड़ी सी शराब का सेवन करने पर जेल भेजना न्याय नहीं है। उन्होंने गरीबों और मजदूर वर्ग को अजब सलाह दी कि वो रात में शराब पीने के बाद रोड पर नहीं निकलें। घर पर पीएं और सो जाएं। सुबह में अपना काम करें। जीतन राम मांझी ने ये कहा था कि मेडिकल साइंस भी कहता है लिमिट में शराब लाभदायक है।

मांझी ने कहा कि राज्य के पढ़े-लिखे लोग यहां तक कि डॉक्टर इंजीनियर, भी रात 10 बजे के बाद शराब पीते हैं, लेकिन पकड़े जाते हैं तो सिर्फ गरीब। मैं शराबबंदी का पक्षधर हूं, लेकिन इसमें संशोधन की जरूरत है। आदिवासी और अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग के लोग देवी-देवताओं को पूजा के दौरान शराब चढ़ाते हैं। इसलिए शराबबंदी कानून पर सरकार को विचार करना चाहिए।

मांझी ने कल शनिवार 15 जनवरी को नालंदा मामले पर उन्होंने कहा कि शराब पर इतनी बार बोल चुका हूं कि अब इस पर बोलना बेईमानी लगता है। बोलने पर विवाद हो जाता है। लेकिन सीएम नीतीश पता नहीं क्यों इस बात को नहीं समझ पा रहे हैं। उन्होंने इसे प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है। कृषि कानून को जब पीएम नरेंद्र मोदी वापस ले सकते हैं, तो शराब की नीति पर समीक्षा न करना यह कहां की बात है। समीक्षा करना ही उचित होगा।

2. बीजेपी विधायक कुंदन सिंह

विधायक कुंदन सिंह के मुताबिक पूरा प्रशासन शराब बंदी कानून को लागू करवाने में लगा है, जिसका नतीजा ये हुआ कि बाकी अपराध बढ़ रहे हैं, ऐसे में शराबबंदी कानून की समीक्षा होनी जरूरी है।

3. बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल

बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने सीएम नीतीश कुमार से यहां तक निवेदन कर दिया कि जिस तरीके से पीएम मोदी ने कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान कर दिया है, उसी तरह बिहार में भी शराबबंदी कानून वापस लिए जाएं।

शराबबंदी को लेकर क्या कहना है विपक्ष का।

बिहार में शराब बंदी को लेकर बिहार विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी राजद ने बिहार के मुख्यमंत्री पर बड़ा आरोप लगाया है।

इस आरोप में राजद ने कहा है कि नीतीश कुमार के स्वार्थ, अहंकार और जिद्द के कारण हर साल हजार से अधिक लोग जहरीली शराब पीकर मार रहे हैं। राजद ने कहा कि शराबबंदी कानून का बिहार में दुरुपयोग किया जा रहा है इससे गरीबों को परेशान किया जा रहा है जबकि अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं।

आपको बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जिला है नालंदा और जब माननीय के गृह जिले में ही प्रशासनिक व्यवस्था लाचार नजर आ रही है। फिर बिहार के अन्य जिलों की स्थिति का अंदाजा लगा जा सकता है।