राजस्थान से एक गरीब ने रात में किसी के घर के साइकिल चुरा ली और अपने पते के साथ यह चिट्ठी लिख दी। इस मजदूर की चिट्टी पढियेगा जरूर और ये सोचिएगा की हमने अपने देश को कहां खड़ा कर दिया है।
नमस्ते जी,
मैं आपका साइकिल लेकर जा रहा हूं। हो सके तो मुझे माफ कर देना। मेरे पास कोई साधन नहीं है। पैदल नहीं जा सकता है क्योंकि बेटा विकलांग है। हमें बरेली तक जाना है।
हो सके तो मुझे माफ कर देनाआपका कसूरवार
एक यात्री
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