
प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी), पटना की ओर से “नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020” पर वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार में वक्ताओं ने कहा कि नई शिक्षा नीति रोजगारपरक एवं नवोन्मेष को बढ़ावा देने वाली है। यह नीति विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए तो है ही साथ ही साथ यह देश को शिक्षा के क्षेत्र में विश्वगुरु बनाने की भी नीति है।
नई शिक्षा नीति का लक्ष्य “भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति” बनाना
पीआईबी के निदेशक दिनेश कुमार ने वेबिनार की शुरुआत करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में रोजगार, व्यवसाय, कौशल एवं प्रतिभा संवर्द्धन, सामयिक पाठ्यक्रम, व्यक्तित्व विकास,स्वतंत्र व आलोचनात्मक सोच,संरचनात्मक व संस्थागत सुधार, मानकीकरण जैसे कई महत्वपूर्ण सुधार समाहित हैं। इस दृष्टिकोण से ये एक ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में मूल्यांकन के तरीकों, टेक्नोलॉजी, वित्तीय प्रबंधन जैसे विषयों पर विशेष ध्यान दिया गया है। नई शिक्षा नीति पर जीडीपी का 6% खर्च करने की बात कही गई है, जोकि पहले मात्र 1.7% थी। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति का लक्ष्य “भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति” बनाना है।
बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बहुत जरूरी-मालवीय
वेबिनार की अध्यक्षता कर रहे पीआईबी एवं आरओबी, पटना के अपर महानिदेशक एस के मालवीय ने कहा कि शिक्षा और शिक्षक अपने आप में बहुत विशाल शब्द है। उन्होंने महामना पंडित मदन मोहन मालवीय को याद करते हुए कहा कि मदन मोहन मालवीय जी ने बीएचयू के एक दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा था कि ‘तुम्हें दीक्षा मिल गई है और अब तुम्हें देश में अलख जगाने का काम करना है।’ नई शिक्षा नीति इस अलख को जगाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। अपर महानिदेशक ने कहा कि मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदुस्तान में अभी भी उतनी अच्छी नहीं है। हिंदुस्तान में मौलिकता का बहुत अभाव है। उन्होंने कहा कि खासकर बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा बहुत जरूरी है। हमारे देश में कैंब्रिज, ऑक्सफोर्ड और ह्यूस्टन जैसे संस्थानों के निर्माण की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत की पहली शिक्षा नीति मिली
वेबिनार के मुख्य अतिथि वक्ता के तौर पर शामिल महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय ,मोतिहारी के कुलपति प्रो. डॉ. संजीव कुमार शर्मा ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बेहद बड़े स्तर पर परामर्श, विचार-विमर्श एवं चर्चा-परिचर्चा की प्रक्रियाओं का परिणाम है। मानव संसाधन मंत्रालय को इस बाबत 4 लाख से भी अधिक सुझाव प्राप्त हुए थे। तब जाकर 1986 में बनी शिक्षा नीति के 34 साल के बाद ये नई शिक्षा नीति अस्तित्व में आई है। इस ऐतिहासिक पल के हम सभी साक्षी हैं। श्री शर्मा ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद यह पहला मौका है जब भारत को सचमुच में भारत की पहली शिक्षा नीति मिली है और जो भारतवर्ष को केंद्र में रखती है। यह पहली शिक्षा नीति है जो भारतीय विद्या को समाहित करती है। यह पहली बार है कि भारत की शिक्षा शोध व नवाचार को अपनाती है। साथ ही शिक्षा पर होने वाले खर्च को बढ़ाकर जीडीपी का 6% करने की प्रतिबद्धता दर्शायी गई है।
श्री शर्मा ने शिक्षा नीति की मुख्य बातों की ओर इंगित करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति एकीकृत संरचना बनाती है, जिसमें सभी विश्वविद्यालय शामिल होंगे। यह नीति एंट्री और एग्जिट को लचीला बनाती है। भारत के सभी भाषाओं में शिक्षा का विचार नई शिक्षा नीति में किया गया है। प्रत्येक इंस्टिट्यूट को एक संस्थागत डेवलपमेंट प्लान बनाने की छूट दी गई है, जिसमें सबका हित सम्मिलित किया जाएगा। उन्होंन कहा कि नई शिक्षा नीति सभी विश्वविद्यालयों को स्वायत्त बनने का मौका देती है ताकि शिक्षण की गुणवत्ता अच्छी की जा सके। इस शिक्षा नीति की एक और पहल है जो विद्यार्थियों के लिए बहुत ही अच्छी है, जो एकेडमिक क्रेडिट बैंक खोलने का सुझाव देता है। नई शिक्षा नीति में सत्य, अहिंसा, प्रेम सद्भाव एवं सदाचरण की व्यवस्था की गई है। यह शिक्षा नीति एक महत्वकांक्षी शिक्षा नीति है। उन्होंने कहा कि इस नीति की खामी यह है कि यह एकल नियामक की बात तो करती है लेकिन एडमिनिस्ट्रेटिव व्यवस्था कैसे चलेगी यह हम सब के लिए एक चुनौती है।
एकेडमीक क्रेडिट बैंक भी बहुत अच्छी पहल
वहीं बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ रंजीत कुमार सिंह ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रधानमंत्री के कौशल विकास की झलक देखने को मिलती है। इस बात का प्रमाण इस बात में भी है कि नई शिक्षा नीति में कक्षा-6 से ही वोकेशनल कोर्सेज की पढ़ाई के प्रावधान किए गए हैं। इसके साथ ही नई शिक्षा नीति कक्षा-9 से किसी विदेशी भाषा की पढ़ाई करने के लिए इसे एक विषय के रूप में चुनने की भी छूट देती है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति को इस तरह से तैयार किया गया है जिससे विद्यार्थियों की 360 डिग्री रिपोर्ट तैयार की जाएगी। जहां एक ओर उनका जेनेरल असेस्मेंट होगा, वहीं दूसरी ओर वे सेल्फ असेसमेंट भी कर पाएंगे।
उन्होंने कहा कि इस शिक्षा नीति में बच्चों को खेल-खेल में सिखाने और रोजगपरक शिक्षा मुहैया कराने की व्यवस्था तैयार की गई है। इसमें क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा को प्रमुखता से स्थान दिया गया है। मिड डे मील को समाप्त कर हेल्दी मील की बात इस नई शिक्षा नीति में कही गई है। श्री कुमार ने बताया कि इंट्री और एग्जिट की पॉलिसी बहुत ही अच्छी पहल मानी जा सकती है। इस शिक्षा नीति में विदेशी विश्वविद्यालयों की शाखाएं भी अब भारत में खोली जा सकेंगी।उन्होंने कहा कि एकेडमीक क्रेडिट बैंक भी बहुत अच्छी पहल है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में 3 ए पर फोकस
वेबिनार में एमिटी विश्वविद्याल, पटना के प्रतिकुलपति डॉ. विवेकानंद पांडेय ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बिहार के लिए बहुत लाभप्रद साबित हो सकती है, क्योंकि बिहार में युवाओं की संख्या 58% प्रतिशत से अधिक है और यह नई शिक्षा नीति भी युवाओं एवं उनके भविष्य को ध्यान में रख कर ही बनाई गई है। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 3ए यानि – एकेडमिक, एप्लीकेशन और एटीट्यूड पर फोकस करती है। यह नीति विद्यार्थियों के पाठ्येतर गतिविधियों यानी एक्ट्रा कैरिकुलर एक्टीविटी पर अधिक फोकस करती है। नई शिक्षा नीति हमें ‘क्या सीखना चाहिए’ के बजाय ‘कैसे सीखना चाहिए’ पर ध्यान केंद्रित करती है। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने समझाया कि अगर हम चपाती बनाने की 100 किताब पढ़ लें, फिर भी अगर नहीं बना पा रहे हैं, तो हमारा उन किताबों को पढ़ना बिल्कुल बेकार साबित होगा और उसके लिए जरूरी है कि हम रसोई में जाकर चपाती बनाना सीखें।
उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि अगर सारे ज्ञान किताबों में ही होते तो संस्थानों की जरूरत नहीं होती। हम जो पढ़ रहे हैं अगर उसकी जीवन में उपयोगिता नहीं है तो उस विषय को खत्म कर देना अच्छा है। बिहार के परिप्रेक्ष्य में उन्होंने प्रधानमंत्री की बात को दोहराते हुए बताया कि भारतवर्ष युवाओं का देश है , जहां 50% से अधिक जनसंख्या 25 वर्ष से कम आयु की है। जबकि यह संख्या बिहार में 58% की है, जो दूसरे सभी राज्यों से ज्यादा है, यानि बिहार युवाओं का राज्य है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया की भारत में नामांकन दर 26% है जबकि बिहार में यह मात्र 14% है । यह नीति नामांकन दर को 26% से बढ़ाकर 50% करने का लक्ष्य रखती है। ऐसे में प्राइवेट यूनिवर्सिटी की भूमिका बढ़ जाती है। यह नई शिक्षा नीति प्राइवेट यूनिवर्सिटी को इस दिशा में अपनी भूमिका अदा करने का प्रावधान करती है। उन्होंने बताया कि नीति अगर अच्छे से इंप्लीमेंट हुई तो भारत को सुपर पावर बनने से कोई नहीं रोक पाएगा। यह नीति हमें आज से 30 साल बाद के लिए तैयार करती है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में खेल-खेल में पढ़ाने की बात
जवाहर नवोदय विद्यालय, बक्सर के प्राचार्य एस. एन. पाठक ने कहा कि जो अभी की शिक्षा नीति है, वह बच्चों को पढ़ने के लिए दबाव डालती है। लेकिन नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में खेल-खेल में पढ़ाने की बात है।खेल के माध्यम से दी जाने वाली जानकारी या शिक्षा को बच्चे जल्दी आत्मसात कर लेते हैं। नई शिक्षा नीति से लोग अब रोजगार के पीछे कम भागेंगे औऱ रोजगार खुद पैदा कर सकेंगे।बच्चों में कॉन्फिडेंस और लीडरशीप विकसित करने की बात भी नई शिक्षा नीति में कही गई है। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति में अन्य विषयों के साथ लैंग्वेज कोर्स की पढ़ाई एक साथ करने की आजादी मिलती है। नई शिक्षा नीति बच्चों में मानवीय व्यवहार, नैतिकता और आत्मविश्वास वृद्धि पर भी जोर दिया गया है।
वेबिनार का संचालन पीआईबी के सहायक निदेशक संजय कुमार एवं सह-संचालन फील्ड आउटरीच ब्यूरो, छपरा के क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी पवन कुमार ने किया। वेबिनार के दौरान लोक संपर्क एवं संचार ब्यूरो, पटना के निदेशक विजय कुमार, दूरदर्शन (न्यूज) बिहार की उप-निदेशक श्वेता सिंह सहित विभिन्न कॉलेजों एवं स्कूलों के प्रोफेसर, शिक्षक और छात्र-छात्राएं मौजूद थे।
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