बिहार में अब अगले 15 साल तक किसी भी नये कॉलेज को एफिलेशिन नहीं दी जायेगी। यहां तक कि पुराने कॉलेजों के एफिलेशिन का नवीनीकरण भी नहीं होगा। दरअसल इस संबंध में बिहार का शिक्षा विभाग एक अहम निर्णय लेने जा रहा है। बतादें कि, नयी शिक्षा नीति के अंतर्गत विश्वविद्यालयों को संबद्धता देने का अधिकार खत्म किया जा रहा है।
नयी शिक्षा नीति के अंतर्गत अब सारे एफिलेशिन प्राप्त कॉलेज ऑटोनोमस संस्थान के रूप में काम करेगे। शिक्षा विभाग इस दिशा में कदम उठाने जा रहा है। प्रदेश के विश्वविद्यालयों के सूत्रों के मुताबिक नयी शिक्षा नीति को राज्य सरकार प्रभावी रूप से नये शैक्षणिक सत्र से लागू करने जा रही है। जिसे चरणबद्ध ढंग से प्रभावी की जानी है।
वही आने वाले चंद वर्षों में सारे एफिलेशिन प्राप्त कॉलेज एफिलेटेड न होकर पूरी तरह ऑटोनोमस हो जायेंगे। एफिलेशिन की अनिवार्यता खत्म हो जाने से निजी कॉलेजों को अपनी जरूरत के हिसाब से निर्णय लेने की छूट हो जायेगी। सरकारी हस्तक्षेप खत्म हो जायेगा। हालांकि, इन सभी कॉलेजों की फीस की एकरूपता रखनी होगी। मौजूदा तौर पर अभी बिहार में एफिलेशिन प्राप्त कॉलेजों की संख्या 250 से अधिक है।
ख़बर है कि नये शैक्षणिक सत्र से स्ट्रीम में शिथिलता दी जायेगी। आहिस्ता-आहिस्ता सब्जेक्ट के नेचर के हिसाब से स्ट्रीम की अनिवार्यता खत्म करने की चरणवार रणनीति भी बनायी जा रही है। जल्दी ही उसे भी सार्वजनिक कर दिया जायेगा। उल्लेखनीय है कि विज्ञान, कला और वाणिज्य की सीमा रेखा खत्म कर दी जायेगी।
कला का विद्यार्थी विज्ञान विषय की पढ़ाई भी कर सकेगा। फिलहाल शिक्षा विभाग नये शैक्षणिक सत्र 2021-22 से नयी शिक्षा नीति को धरातल पर लाने जा रहा है। वहीं सारे कॉलेज एक छतरी के तहत काम करेंगे।
जानकारी के मुताबिक नैक के लिए भी शिक्षा विभाग एक रणनीति के तहत काम कर रहा है। इसके लिए अलग से कंसल्टेंट की भी नियुक्ति की गयी है। हालांकि, लॉकडाउन की वजह से कंसल्टेंट इस दिशा में अभी कोई भी काम धरातल पर नहीं उतार पा रहे हैं, वहीं लॉकडाउन खुलने के साथ जल्द ही इसके धरातल पर आने की उम्मीद है।
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