
ईद 2 या 3 मई को मनेगी। लोगों ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। दो साल से कोरोना की वजह से लगी कई पाबंदियों के कारण लोग ईद अपने तरीके से नहीं मना पा रहे थे। लेकिन इस बार ईद के त्योहार को लेकर लोगो में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। इस दफे ईद मिलन समेत कई कार्यक्रम भी होंगे। सिर्फ बड़े ही नही ईद को लेकर बच्चों में भी खासा उत्साह है। लोगों ने नए कपड़े से लेकर पर्व में बनने वाले मीनू आदि बना लिए हैं।

यूं तो रविवार को चांद देखे जाने की उम्मीद है, पर मुस्लिम बहुल मोहल्लों में शनिवार रात से ही चहल पहल बढ़ गई है। सेवई, लच्छा, नान, ड्राई फ्रूट से लेकर कई तरह की अस्थायी दुकानें लग गई हैं। शनिवार को देर रात तक लोग खरीदारी करने में जुटे रहे। बस अब इंतजार है ईद के चांद के दीदार का । मस्जिदों और खानकाहों में ईद की नमाज के समय का ऐलान कर दिया गया है। गांधी मैदान में ईद की नमाज 8 बजे होगी।

पहले बांट दें फितरा : ईद की नमाज पढ़ने जाने से पहले गरीबों के बीच फितरा जरूर बांट दें ताकि वे भी ईद खुशी से मना सकें। नमाज से पहले फितरा दे दें तो सवाब के हकदार होंगे। अगर किसी खास वजह से फितरा नहीं दे पाए तो जब फुर्सत मिले, इसे फौरन बांट दें। इसबार फितरा की रकम 50 रुपए तय की गई है। वह इसलिए कि फितरा गरीबों का है।

बेहतर कपड़ा पहनें,खुशबू या इत्र लगाएं
अगर आपके पास नया कपड़ा नहीं है तो कोई बात नहीं है। उस दिन सबसे बेहतर कपड़ा पहनें जो आपके पास हो। जब आप नमाज के लिए रवाना हों तो उससे पहले खुशबू या इत्र लगाएं। पड़ोसी को भी इत्र लगाने को दें।
मीठी चीज खाकर जाएं: आप नमाज पढ़ने जाएं तो उससे पहले कुछ मीठी चीज जरूर खा लें। चाहे वह सेवई हो, खोरमा हो, खजूर हो या कोई अन्य मीठी चीज। इसे खाने का मतलब है कि हमने अल्लाह के हुक्म से रोजा तोड़ दिया। पैगम्बर मोहम्मद साहब ईद की नमाज में जाने से पहले खजूर खाया करते थे।
समूह में जाएं ईदगाह: ईद की नमाज पढ़ने घर से निकलें तो आसपास लोगों के साथ ईदगाह जाएं। अकेले जाना ठीक नहीं है। समूह में ईदगाह जाना बेहतर है। इससे एकता का परिचय होता है। घर से एक रास्ते से ईदगाह जाएं और दूसरे रास्ते से घर लौटें। कोशिश करें कि घर लौटने से पहले अपने पूर्वजों की कब्र पर फातिहा जरूर पढ़ लें।
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