
भारत के चीफ़ जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली पाँच जजों की बेंच ने बहुमत से ईडब्लूएस कोटे के पक्ष में फ़ैसला सुनाया और कहा कि 103वां संविधान संशोधन वैध है।
भारत के संविधान में 103वां संशोधन करके सामान्य वर्ग के ग़रीब छात्रों के लिए आरक्षण का ये प्रावधान किया गया है। जो किसी प्रकार से गलत नही है। इसके साथ ही मुख्य न्यायधीशों की 5 सदस्यीय बेंच ने आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में मिलने वाले 10 फ़ीसदी आरक्षण को जारी रखा। सुप्रीम कोर्ट की पाँच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने सोमवार को ईडब्लूएस कोटे के तहत आरक्षण को बरकरार रखा है।
पांच सदस्यों वाली पीठ में से 3 जजों ने आरक्षण के पक्ष में तो 2 जजों ने आरक्षण के विपक्ष में अपना फैसला सुनाया। आरक्षण के पक्ष में फ़ैसला देने वालों में जस्टिस दिनेश माहेश्वरी के अलावा जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जेबी पारदीवाला शामिल हैं।
वहीं, मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित और जस्टिस रवींद्र भट्ट ने आर्थिक रूप से पिछले लोगों को आरक्षण दिए जाने के फ़ैसले पर अपनी असहमति जताई।
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