देशभर में सीएए, एनआरसी और एनपीआर पर जारी जंग के बीच केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान का रूख बदलता नजर आ रहा है। उनके इस बयान के बाद एनपीआर पर देश में मचे घमासान थम सकता है। राज्यसभा में केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि एनपीआर में कोई दस्तावेज की मांग नहीं की जाएगी। नागरिकों के पास जो दस्तावेज हैं, वो दे सकते हैं। दस्तावेज देना वैकल्पिक है!
एनपीआर में नहीं मांगे जाएंगे कोई दस्तावेज
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को साफ किया कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। जो जानकारी आपके पास नहीं हैं, वह देने की जरूरत नहीं है। जिसकी जगह खाली होगी, उसके सामने ‘डी’ नहीं लगाएंगे।
क्या आप ‘डी’ का मतलब जानते हैं ?
बता दें कि यहां पर डी का मतलब डाउटफुल (संदेहास्पद) है। इस डी को लेकर कांग्रेस नेता सिब्बल ने कहा था कि जब एनपीआर होगा तो 10 सवाल और पूछे जाएंगे और फिर डी लगा देंगे।
अमित शाह ने एक बार फिर आशंकाओं को दूर करते हुए कहा, सीएए और एनपीआर की प्रक्रिया से अल्पसंख्यक समुदाय के किसी व्यक्ति को डरने की जरूरत नहीं है।
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