धनंजय वाई चंद्रचूड़ बने भारत के मुख्य न्यायधीश, दो सालों तक रहेंगे पद पर कार्यरत, जानिए कारण…।

भारत की सर्वोच्च विधि व्यवस्था के संरक्षक सुप्रीम कोर्ट के 50वें मुख्य न्यायधीश (CJI) के तौर पर बुधवार को जस्टिस धनंजय वाई. चंद्रचूड़ ने शपथ ग्रहण किया। देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में शपथ दिलाई। बता दें कि जस्टिस चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के गलियारों से अच्छी तरह वाफिक हैं। वह जस्टिस उदय उमेश ललित का स्थान लेंगे। जस्टिस चंद्रचूड़ मुख्य न्यायाधीश के पद पर दो सालों तक बने रहेंगे।

जस्टिस चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर 1959 को हुआ था और 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के रूप में पदोन्नत किये गये थे। जस्टिस चंद्रचूड़ कई संविधान पीठ और ऐतिहासिक फैसले देने वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठों का हिस्सा भी रहे हैं। इनमें अयोध्या भूमि विवाद, आईपीसी की धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने, आधार योजना की वैधता से जुड़े मामले, सबरीमला मुद्दा, सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने, भारतीय नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने जैसे फैसले शामिल हैं।

जस्टिस चंद्रचूड़ 29 मार्च 2000 से 31 अक्टूबर 2013 तक बंबई हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में भी कार्यरत रह चुके हैं। उसके बाद उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। जस्टिस चंद्रचूड़ को जून 1998 में बंबई हाई कोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया था और वह उसी वर्ष अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किए गए। राष्ट्रीय राजधानी के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में बीए ऑनर्स करने के बाद उन्होंने कैंपस लॉ सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी किया और अमेरिका के हार्वर्ड लॉ स्कूल से एलएलएम और न्यायिक विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता भी लगभग 7 साल 4 महीने तक मुख्य न्यायधीश के तौर पर कार्य कर चुके हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में किसी सीजेआई का सबसे लंबा कार्यकाल रहा है। वह 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक सीजेआई रहे थे। जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 तक दो साल के लिए इस पद पर रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस की 65 साल की उम्र में रिटायरमेंट होती है। वह जस्टिस यूयू ललित का स्थान लेंगे जिन्होंने 11 अक्टूबर को उन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाए जाने की सिफारिश की थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें 17 अक्टूबर को अगला सीजेआई नियुक्त किया था।