नए कृषि कानून के विरोध में किसानों का आंदोलन लगातार 19 वें दिन भी जारी है. अब किसान आंदोलन में फूट पड़ती नजर आ रही है. नए कृषि कानूनों के समर्थन में आल इंडिया किसान समन्वय समिति से संबद्ध विभिन्न राज्यों के 10 संगठनों ने केंद्रीय कृषि मंत्री को सोमवार को एक ज्ञापन सौंपा। ये संगठन उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, बिहार और हरियाणा आदि राज्यों से हैं।
10 संगठनों ने कृषि कानून का दिया समर्थन
वहीं हरियाणा के सांसद और विधायक कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से मिले। इससे पहले उनसे दस किसान संगठनों के नेता भी मिले और कृषि कानूनों को अपना समर्थन दिया था। कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि, कई राज्यों के किसान यूनियन मिलने आए थे। उन्होंने कहा कि वह सरकार का समर्थन करते हैं और मोदी सरकार हमेशा ही किसानों के भले के लिए काम करती रही है
सिर्फ पूंजीपतियों के फायदे के लिए ये कानून
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इस कानून में लिखा है कि कोई कितनी भी जमाखोरी कर सकता है। पहले जमाखोरी शास्त्रों और कानून की नजर में पाप है। कोई भी आदमी अब कितना भी जमाखोरी कर सकता है। इस कानून में लिखा है कि जब तक सामान के दाम दोगुने नहीं हो जाएंगे तब तक जमाखोरी कर सकते हैं। लोगों की आमदनी बढ़ेगी नहीं और महंगाई बढ़ जाएगी। सिर्फ पूंजीपतियों के फायदे के लिए ये कानून हैं।
हरियाणा सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था की
इस कड़ाके की ठंड में भी किसान अपना आंदोलन वापस लेने के लिए तैयार नहीं हैं. किसान अपनी मांगों को लेकर पिछले 19 दिनों से अडिग हैं। किसानों के इस प्रदर्शन और उनके स्वास्थ्य के ऊपर मंडरा रहे खतरे को देखते हुए हरियाणा सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था की है। सिंघु बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल पहुंचे। वहां सरकार की तरफ से मुहैया कराई गई टीम के डॉक्टर दिनेश कुमार ने बताया कि किसानों के लिए इमरजेंसी सेवा में 15 एंबुलेंस तैनात हैं। ये एंबुलेंस जीटी रोड पर हर 50 मीटर की दूरी पर खड़ी हैं। उन्होंने बताया कि सरकार ने जरूरत पड़ने पर किसानों की मदद के लिए 50 डॉक्टरों की एक टीम बनाई है, जो सिंघु बॉर्डर पर ही मौजूद है।
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