अंग्रेजों ने बनाया था “बिहार रेजिमेंट”… जिसके जांबाज सैनिकों ने हर बार दुश्मनों को जंग में धूल चटाई

लद्याख के गलवान घाटी में सीमा विवाद को लेकर हुई हिंसक झड़प में देश के वीर सैनिकों ने सीमा सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। इनमें सीओ रैंक के एक अधिकारी समेत 20 जवान शामिल हैं। शहीद हुए जवानों में अकेले 16 बिहार रेजिमेंट के 12 जवान हैं। हम बात उस रेजिमेंट की कर रहे हैं, जो न सिर्फ इस झड़प में अपने प्राण न्योछावर कर दिये, बल्कि जब भी देश पर संकट छाया तो हंसकर अपने प्राण न्योछावर कर दिये।
चीन के विस्तारवादी सोच के सामने जब भारतीय फौज चट्टान की तरह लद्दाख में खड़ी है तो बिहार रेजिमेंट के जवान अग्रिम मोर्चे पर सीना ताने सरहदों की रक्षा कर रहे हैं।

शहादत देकर बिहार का फिर मान बढ़ाया

लद्दाख सीमा पर चीनी सैनिकों के साथ झड़प में बिहार के तीन सपूतों ने अपने शहादत देकर राज्य का मान फिर से बढ़ाया है। सारण जिले के परसा थान के दीघरा निवासी सेना के हवलदार सुनील कुमार और भोजपुर के बिहिया के मूल निवासी कुंदन ओझा इसमें शहीद हुए हैं। कुछ और जवानों के शीहद होने की बात कही जा रही है। हालांकि इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

हर जंग में दुश्मनों को बिहार रेजिमेंट ने धूल चटाई

वर्ष 1947, 1965, 1971 का भारत-पाक युद्ध हो या कारगिल जंग, हर मोर्चे पर बिहार के जवानों ने दुश्मनों को धूल चटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। करगिल में भी इनके पराक्रम को दुनिया ने देखा। इस लड़ाई में बिहार रेजिमेंट के करीब 10 हजार सैनिक शामिल हुए थे। इलके जवानों ने कई चोटियों पर विजय पताका लहराया था। 1971 की लड़ाई में जब पाक के दो टुकड़े हुए, उस लड़ाई में भी बिहार रेजिमेंट की अहम भूमिका थी। आज फिर लद्दाख में बिहार के सूपत चीनी सैनिकों के साथ 3-3 हाथ करने के लिए अग्रिम मोर्चे पर डटे हैं।

1941 में हुआ था बिहार रेजिमेंट का गठन

बिहार रेजिमेंट का गठन आजादी के पूर्व 1941 में अंग्रेजों ने किया था। शाहाबाद के युवाओं के युद्ध कौशल को देखते हुए इस रेजिमेंट का गठन किया गया था। बिहार रेजिमेंट के जवानों ने द्वितीय विश्वयुद्ध में ही परचम लहरा दिया। यह भारतीय सेनी की पुरानी रेजिमेंटों में एक है। बिहार रेजिमेंट को उसकी बहादुरी के लिए तीन अशोक चक्र, सात परम विशिष्ट सेवा मेडल, दो महावीर चक्र, 14 कीर्ति चक्र, आठ अति विशिष्ट सेवा मेडल, 15 वीर चक्र, 41 शौर्य चक्र, पांच युद्ध सेवा मेडल, 153 सेना मेडल, तीन जीवन रक्षा पदक, 31 विशिष्ट सेवा मेडल और 68 मेंशन इन डिसपैच मेडल मिल चुके हैं।