
बिहार विधान परिषद में नेशनल ई- विधान परियोजना के कार्यान्वयन हेतु एमओयू पर हस्ताक्षर हो गया है इसके साथ ही विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन, निर्माण, वित्तीय स्वीकृति की औपचारिक प्रक्रिया आरंभ करने की मंजूरी भी मिल गई है. विधान परिषद के कार्यकारी सभापति ने इस परियोजना को जून 2020 तक पूरा करने का निर्देश जारी किया है.
इससे पहले हिमाचल में हुआ था आरंभ
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ड्रीम प्रोजक्ट डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के तहत बिहार विधान परिषद के लिए ई- नेशनल विधान परियोजना की स्वीकृति दी गई है. बिहार विधान परिषद देश का प्रथम सदन है जहां नेवा परियोजना पूर्ण रूपेन सफल हुई थी. बिहार विधान परिषद से पहले प्रायोगिक तौर पर हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2014 में ही विधान का परीक्षण आरंभ किया गया था.
पेपर लेस होगा विधान परिषद
ई-विधान परियोजना के लागू होने के बाद अब सदन एवं सदस्यों से संबंधित सारे कार्य पेपर लेस हो जाएगा. सदस्यों की सीट के आगे टच स्क्रीन, कंप्यूटर तथा सदन के अंदर मानिटर लगाया जाएगा. माननीय सदस्य अपने प्रश्न और किसी तरह का नोटिस कंप्यूटर के माध्यम से परिषद सचिवालय को प्रेषित कर सकेंगे. इसके बाद सभी प्रश्नों का उतर नेवा के माध्यम से संपादित होंगे.
नेवा परियोजना पर 974 करोड़ रूपए खर्च
भारत के सभी राज्यों में नेवा परियोजना पर करीब 974 करोड़ रुपए खर्च होने हैं. प्रथम चरण में बिहार गुजरात कर्नाटक पंजाब एवं सिक्किम राज्यों का चयन किया गया है. बिहार विधान परिषद के लिए परियोजना कार्य पूर्ण होने का समय जून 2020 निर्धारित की गई है. इसके बाद दूसरे चरण की शुरूआत की जाएगी.
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