सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर विचार करने से मंगलवार को इनकार कर दिया, जिसमें उसने सोशल मीडिया अकाउंट को आधार, पैन या मतदाता पहचान पत्र कार्ड से जोड़ने का निर्देश देने का अनुरोध खारिज कर दिया गया था.
याचिका में फर्जी अकाउंट का सफाया करने की थी मांग
सोशल मीडिया पर फर्जी अकाउंट का सफाया करने के लिये यह निर्देश देने का हाई कोर्ट से अनुरोध किया गया था. हालांकि, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने याचिकाकर्ता, वकील एवं भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय को शीर्ष न्यायालय में केंद्र द्वारा दायर की गई (मामलों के) स्थानांतरण याचिका में खुद को पक्षकार बनाने की अनुमति दे दी.
अर्जी दायर करने की छूट
वकील ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिये दलील दी कि केंद्र ने इससे पहले इस तरह के मामलों को कुछ सुप्रीम कोर्ट से शीर्ष न्यायालय स्थानांतरित करने की मांग की थी. पीठ ने कहा, ‘‘हम उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाले आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं देखते हैं. इस तरह, विशेष अनुमति याचिका खारिज की जाती है. हालांकि, याचिकाकर्ता (उपाध्याय) को स्थानांतरण मामले में पक्षकार बनाये जाने की अर्जी दायर करने की छूट दी जाती है.’’
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