कॉलेज ऑफ कॉमर्स में ‘भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोविड संकट का निहितार्थ’ पर वेबिनार, कोरोना के कारण विश्व की चरमराई अर्थव्यवस्था, आत्मनिर्भर भारत पर जोर

कॉलेज ऑफ कॉमर्स में भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोविड संकट के निहितार्थों वेबिनार का आयोजन किया गया। इ०क्यू०ए०सी० कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एवं साइंस, पटना ने इकोनॉमिक्स एसोसिएशन ऑफ बिहार और इंडियन इकोनामिक एसोसिएशन के सहयोग के साथ व्याख्यान श्रृंखला 4 का आयोजन हुआ।

प्रोफेसर तपन कुमार शांडिल्य ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि हम इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि चीन और दुनिया के अन्य देशों में कोविड-19 के प्रकोप से वैश्विक स्तर पर आर्थिक मंदी, व्यापार, सप्लाई चेन का व्यवधान, वस्तुओं और लॉजिस्टिक्स सहित अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। और भारत इससे अछूता नहीं है।

व्यक्तिगत आयकर में कमी की आवश्यकता

वहीँ जेएनयू के पूर्व कुलपति प्रोफेसर मदन मोहन गोयल ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा तंत्र में अपवर्जन त्रुटियों से बचने के लिए, हमें सभी सब्सिडी नहीं तो कुछ को पूल करके सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम एक प्रतिशत को प्रत्यक्ष रूप से सार्वभौमिक प्रत्यक्ष आय हस्तांतरण प्रदान करना होगा। प्रोफेसर गोयल ने कहा कि मध्यम वर्ग द्वारा गैर-आवश्यक वस्तुओं की पुनर्जीवित मांग के साथ मंदी के प्रहार को नरम किया जा सकता है जिसके लिए व्यक्तिगत आयकर में कमी की आवश्यकता है ।

हितधारकों के बीच असंतोष भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियां

प्रोफेसर गोयल ने बताया कि सरकार को महंगाई भत्ते का भुगतान करके कर्मचारियों की क्रय शक्ति को उपभोक्ताओं के रूप में पुनर्स्थापित करना चाहिए जो कि फ्रीज है और महंगाई के मुआवजे का एक उपाय है। उन्होंने कहा कि आर्थिक पुनरुद्धार और अस्तित्व के लिए, हमें उपभोक्ताओं, उत्पादकों, वितरकों और व्यापारियों के रूप में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सड़क स्मार्ट भारतीय के साथ‘ नीडोनॉमिक्स ’ (जरूरतों के अर्थशास्त्र) को अपनाकर, आत्मनिम्भर भारत अभियान को समझना, विश्लेषण, व्याख्या और कार्यान्वित करना होगा, इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मंदी, दिवालिया, बेरोजगारी, बेरोजगारी, किसानों की आत्महत्या, श्वेत-कॉलर अपराधों, आतंकवाद, शोषण, भेदभाव, अभाव और हितधारकों के बीच असंतोष भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियां है ।

अपने ज्ञान से जीवंत भारत का निर्माण करें-डॉ० पद्मीनी

वहीं वाणिज्य विभाग के प्रोफेसर डॉ० पद्मीनी प्रसाद ने कहा कि सरकार ने आर्थिक प्रवर्तन की घोषणा की है पर हम सभी का भी यह फर्ज बनता है कि विकट स्थिति में अपने सोच, धैर्य, कर्म और ज्ञान से एक अद्भुत और जीवंत भारत का निर्माण करें।

कोरोना के कारण बेरोजगारी की समस्या विकराल

 

इंडियन इकोनामिक एसोसिएशन और डी० जी० वैश्णव कॉलेज, चेन्नई के प्रोफेसर डॉ० एस० नारायण ने कहा कि कोरोना के कारण बेरोजगारी की समस्या विकराल होने जा रही है। घरेलू कंपनियों की आय और लाभ दोनों में तेज गिरावट का असर देश की आर्थिक वृद्धि पर भी पड़ेगा। रोजगार के स्तर पर इन से संबंधित क्षेत्रों में 52 प्रतिशत तक नौकरियां कम हो सकती हैं।

कोरोना के कारण चरमराई भारतीय अर्थव्यवस्था

वहीं इकोनामिक एसोसिएशन ऑफ बिहार के सचिव प्रोफेसर अनिल कुमार ठाकुर ने कहा कि ऐसा पहली बार है कि भारत की विकास दर के शून्य रहने का अनुमान लगाया गया है। भारतीय अर्थव्यवस्था चरमरा गई है।

वेबिनार में कई प्रोफेसर और छात्र हुए शामिल

इस व्याख्यान श्रृंखला का संचालन प्रोफेसर डॉ० उमेश प्रसाद, अर्थशास्त्र विभाग, ने किया। प्रोफेसर डॉ० रश्मि अखौरी, अध्यक्ष, अर्थशास्त्र विभाग ने प्रोफेसर मदन मोहन गोयल के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। इस व्याख्यान श्रृंखला की समाप्ति प्रोफ़ेसर के० एन० यादव, अर्थशास्त्र विभाग के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। इस व्याख्यान श्रृंखला में अर्थशास्त्र के सभी शिक्षक प्रोफेसर उमेश प्रसाद, प्रोफेसर रश्मि आखौरी, प्रोफेसर प्रवीण कुमार, प्रोफेसर रमेश चौधरी, प्रोफेसर मृदुला कुमारी, प्रोफेसर संजय पांडे, प्रोफेसर विवेक कुमार, प्रोफेसर बैकुंठ राय, संगीता कुमारी और आई० क्यू० ए० सी० के समन्वयक, प्रोफेसर संतोष कुमार भी उपस्थित थे। विभिन्न विभागों के शिक्षकों और विभिन्न अतिथियों की सहभागिता ने इस व्याख्यान श्रृंखला को सफल बनाया। विभिन्न विभागों के विद्यार्थियों ने अपनी सहभागिता से इस व्याख्यान श्रृंखला का लाभ उठाया।