औपनिवेशिक आपराधिक न्याय प्रणाली की जगह भारतीय न्याय प्रणाली के नए युग का एक जुलाई से आगाज हो जाएगादे। श में आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलने के लिए एक जुलाई से तीन नए कानून लागू होंगे। ये तीन कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम हैं। तीनों कानूनों को पिछले साल 21 सितंबर को संसद से मंजूरी मिली थी। उसके बाद 25 दिसंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी उन्हें मंजूरी दी थी
केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) की ओर से तीन अधिसूचनाएं जारी की गई हैं। इनके मुताबिक नए कानूनों के प्रावधान एक जुलाई से लागू होंगे। ये कानून औपनिवेशिक काल की भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह लेंगे। तीनों कानूनों का मकसद विभिन्न अपराधों और उनकी सजाओं को परिभाषा देकर देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलना है।
राजद्रोह कानून खत्म
नए आपराधिक कानून लागू होने के बाद अंग्रेजों के जमाने के कानून समाप्त हो जाएंगे। इसी के साथ इस कानून में राजद्रोह को खत्म कर दिया गया है।
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