
बिहार में पुलों का गिरना लगातार जारी है. राज्य में बुधवार को भी कम से कम 5 पुल गिर गए हैं. इनमें से सिवान ज़िले में छाड़ी नदी पर बने दो पुल शामिल हैं.
बिहार में कई नए पुल और निर्माणाधीन पुलों के गिरने का सिलसिला भी लगातार बना हुआ है. बिहार में पुलों के गिरने को लेकर लगातार राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप भी देखने को मिलता है. राज्य में पिछले 15 दिनों में 10 से ज़्यादा नए और पुराने पुल गिरे हैं.
सीवान में बैक टू बैक तीन पुल ध्वस्त हो गए। लगातार बारिश के कारण कुछ ही घंटों में तीन पुल गिरने से कई गांवों के बीच संपर्क टूट गया है। पहली घटना महाराजगंज अनुमंडल के पटेढ़ा गांव और देवरिया गांव के बीच की है। यहां गंडक नदी पर बना 35 साल पुराना पुल का का एक पाया धंसने लगा। देखते ही देखते पुल गंडक नदी में समा गया।
इसी नदी पर एक पुल तक जाने वाली सड़क बारिश में बह गई है. इससे फ़िलहाल यह पुल भी इस्तेमाल के लायक नहीं रह गया है.बुधवार को ही राज्य के सारण ज़िले में गंडकी नदी पर बने दो नदी पुल गिर गए हैं. इन पुलों के गिरने से बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए हैं.
दूसरी घटना महाराजगंज प्रखंड के तेवथा पंचायत की है। नौतन और सिकंदरपुर गांव के गंडक नदी पर बना पुल गिर गया। वहीं तीसरा पुल धीमही गांव में गंडक नदी में बना था। यह भी धाराशायी हो गया। ग्रामीणों का कहना है कि कुछ दिन पहले इस पुल की मरमत भी हुई थी। उसके बाद भी यह पुल टूट गया है। पानी के तेज बहाव के कारण बताया जा रहा है। हादसे के बाद कई गांव के बीच आवागमन बाधित हो गया है। इलाके में हड़कंप मच गया। लोग पुल के निर्माण कार्य पर सवाल उठा रहे हैं। लोगों का कहना है यह पुल 35 से 40 साल पुरानी थी। हजारों लोगों के आने-जाने का मात्र एक यही साधन था। जो अब पूरी तरह से टूट गया है। ग़नीमत रही कि इस हादसे में जानमाल की कोई नुकसान नहीं पहुंचा।
इस हादसे के पहले 22 जून को महाराजगंज अनुमंडल के पटेढ़ा और गरौली गांव के बीच गंडक नहर पर पुल अचानक गिर गया था। हादसे के बाद दो गांव के बीच आवागमन बाधित हो गया है। इलाके में हड़कंप मच गया। लोग पुल के निर्माण कार्य पर सवाल उठा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि 30 साल पहले बिहार सरकार ने इस पुल का निर्माण करवायाा। कुछ दिन पहले ही विभाग नहर की सफाई करवाई गई थी। साथ ही नहर की मिट्टी काटकर नहर के बांध पर फेंक दी गई थी।
सिवान के ज़िलाधिकारी मुकुल कुमार गुप्ता ने बीबीसी को बताया है कि ‘छाड़ी’ एक मृत नदी थी यानी उसमें पानी नहीं था लेकिन ‘जल जीवन हरियाली’ मिशन के तहत इस नदी को जीवित किया गया है, इससे इलाक़े में हज़ारों एकड़ में फ़ैले खेतों की सिंचाई संभव हो पाई है.
उनके मुताबिक़, “यह मृत नदी थी इसलिए इस पर बने पुल भी 40-45 साल पुराने हैं, जो ईंट की नींव पर बने हैं. ये बहुत मज़बूत नहीं होते हैं. पिछले 24 घंटे में हुई भारी बारिश की वजह से नदी में 5 फुट तक पानी बह रहा है और मिट्टी के कटाव की वजह से पुल गिरे हैं
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