केंद्र सरकार देश में रोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ-साथ इसे पाने की राह भी आसान कर रही है। इसी उद्देश्य से केंद्र की एनडीए सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल निर्देशन और दूरदर्शी सोच के आधार पर नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी यानी एनआरए के गठन का निर्णय लिया है। इस एजेंसी के द्वारा वर्ष में दो बार कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी सीईटी का आयोजन किया जाएगा। शुरुआत में इसके जरिए रेलवे एसएससी और बैंकिंग सेक्टर की ग्रुप बी और सी की भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाएगी। सरकार का कहना है कि बाद में इसमें अन्य क्षेत्र की परीक्षाएं भी शामिल की जाएंगी। सरकार की इस नई और महत्वपूर्ण पहल में किए गए प्रावधान के अनुसार सीईटी में सफल उम्मीदवारों की मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी और यह 3 साल के लिए मान्य होगी। वैसे तो जो परीक्षार्थी अपने स्कोर को और बेहतर करना चाहेंगे वह फिर से परीक्षा दे सकेंगे।
कमजोर वर्ग के लिए अतिरिक्त आर्थिक बोझ परीक्षा
दरअसल नौकरी के लिए आयोजित की जाने वाली विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं को लेकर कई तरह की समस्याओं का सामना परीक्षार्थियों के अलावा सरकार और परीक्षा एजेंसियों को करनी पड़ती थी। लेकिन इसे दूर करने के उपाय पर कभी गौर नहीं किया गया। नतीजा वर्षों से चली आ रही व्यवस्था जारी रही। कई बार ऐसा भी कई परीक्षार्थियों के साथ हुआ कि एक ही तारीख को एक से अधिक परीक्षा के लिए उन्हें बुलावा आ जाता। इतना ही नहीं इन परीक्षाओं के लिए परीक्षा केंद्र भी अलग-अलग जगहों पर होता था। जाहिर है ऐसे में संबंधित परीक्षार्थी किसी एक ही परीक्षा में शामिल हो पाते थे। इस वजह से जहां अन्य परीक्षाओं के लिए की गई उनकी तैयारी बेकार हो जाती, वहीं परीक्षा फॉर्म भरने के साथ अदा किया गया शुल्क भी बेकार चला जाता। इस वजह से उन्हें शारीरिक मानसिक और आर्थिक परेशानी झेलनी पड़ती थी। दूसरी अहम समस्या यह आ रही थी कि परीक्षा केंद्र चुने हुए शहरों में ही होने की वजह से वहां आने जाने के लिए परीक्षार्थियों की भारी भीड़ उमड़ती। ये उनके साथ यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बन जाता था। इसके अलावा परीक्षा के लिए दूरस्थ क्षेत्रों में जाने का खर्च आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए अतिरिक्त आर्थिक बोझ बन जाता था।
करोड़ों युवाओं के लिए वरदान साबित होगा
इन तमाम पहलुओं पर मोदी सरकार ने गौर करते हुए यह बड़ा कदम उठाया है। सरकार को उम्मीद है कि इससे परीक्षार्थियों को कई तरह से फायदा मिल सकेगा। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनआरए के गठन को महत्वपूर्ण कदम बताते हुए कहा है कि यह नई व्यवस्था करोड़ों युवाओं के लिए वरदान साबित होगा। उन्होंने कहा है कि एक परीक्षा होने से परीक्षार्थियों को आसानी के साथ साथ समय और संसाधनों की बचत होगी। इसके अलावा पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी।
केंद्र सरकार की पहल काफी सराहनीय
प्रधानमंत्री के विचार में यह बात साफ तौर पर झलकती है कि अब तक जारी व्यवस्था से परीक्षार्थियों को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था, इस पर गंभीरता से वे तथा उनकी सरकार ने गौर किया है। एनआरए में किए गए प्रावधान से एक तरह से परीक्षार्थियों की जहां कई परेशानियों को दूर कर दिया है, वहीं परीक्षा की तैयारी के लिए पढ़ाई के अतिरिक्त बोझ से भी उन्हें निजात दिला दी है। मतलब यह कि अभी की व्यवस्था में अलग अलग बोर्ड के अलग अलग पैटर्न होने की वजह से उन्हें अलग-अलग पढ़ाई कर संबंधित परीक्षा की तैयारी करनी पड़ती थी। लेकिन नई व्यवस्था में एक परीक्षा का प्रावधान होने से उन्हें एक ही पढ़ाई करके उसकी तैयारी करनी पड़ेगी।
यह परीक्षा 12 भाषाओं में आयोजित होगी
एनआरए में प्रावधानःइसके द्वारा आयोजित किए जाने वाले सीइटी तीन स्तर का होगा।हाई स्कूल तक पढ़ाई करने वाले, इंटर तक पढ़ाई करने वाले एवं स्नातक उत्तीर्ण अभ्यर्थी के लिए यह ग्रेड होगा।परीक्षा की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी तथा उम्मीदवार को अपने लिए परीक्षा केंद्र चुनने की छूट होगी। इस परीक्षा में वस्तुनिष्ट प्रश्न पूछे जाएंगे। यह परीक्षा 12 भाषाओं में आयोजित की जाएगी। इससे उम्मीदवार को यह फायदा होगा कि उसकी जिस भाषा में पकड़ होगी, वह उस भाषा का चुनाव कर अपनी प्रतिभा दिखला सकेगा। अपनी पसंद के परीक्षा केंद्र चुनने से उम्मीदवार का खर्च और परेशानी कम होगी। इसके अलावा अलग-अलग परीक्षाओं के लिए फार्म भरने के लिए जो खर्च उसे वहन करना पड़ता था, उससे उसे राहत मिलेगी। दिव्यांग एवं महिला अभ्यर्थियों के लिए खर्च और आवागमन के लिहाज से नई व्यवस्था काफी फायदेमंद मानी जा रही है।
परीक्षा के लिए 117 जिलों का चयन
इस नई व्यवस्था में सब कुछ ऑनलाइन होगा, क्योंकि इसमें किसी भी तरह के फिजिकल वेरीफिकेशन की जरूरत नहीं होगी। इसलिए इस में धांधली की गुंजाइश नहीं रहेगी। सरकार ने अभी इस परीक्षा के आयोजन के लिए 117 आकांक्षी जिलों का चयन किया है। सरकार ने राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी को स्वायत्त संस्था के रूप में गठित करने का निर्णय लिया है। इसमें विभिन्न मंत्रालयों एवं सरकारी संस्थानों के उच्च अधिकारी एवं विशेषज्ञ शामिल किए जाएंगे ताकि इसका संचालन बेहतर ढंग से हो सके। राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षा में प्राप्त अंक के आधार पर उम्मीदवार अपनी योग्यता और प्राथमिकता के हिसाब से किसी भी सेक्टर में नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं। सीईटी उम्मीदवार किसी भी एजेंसी में आगे की उच्च स्तरीय परीक्षा के लिए आवेदन कर सकेंगे। एक खास बात यह भी है कि केंद्र सरकार राज्यों के साथ एनआरए द्वारा आयोजित परीक्षा का परिणाम साझा करेंगी तथा राज्य अगर इसे स्वीकार करते हैं, तो राज्यों में भी इसी के आधार पर नियुक्तियां की जा सकेंगी। केंद्र सरकार का सुझाव है कि राज्य सरकारें और निजी क्षेत्र भी इस परीक्षा के प्राप्तांक के आधार पर किसी भी उम्मीदवार का चयन कर सकते हैं।
बिहार के छात्रों में खुशी की लहर
परीक्षार्थियों में उत्साहः केंद्र सरकार के इस महत्वपूर्ण निर्णय से बिहार में भी छात्रों में खुशी की लहर है। वे अपने लिए रोजगार और बेहतर कैरियर की दिशा में इसे काफी उपयोगी मानते हैं। कई छात्रों शिक्षकों एवं अन्य प्रबुद्धजनों के अलावा अभिभावकों से जब इस बारे में उनकी प्रतिक्रिया पूछी गई, तो सब ने कुछ सुझावों के साथ सरकार के निर्णय पर संतोष प्रकट करते हुए कहा कि अब पारदर्शी तरीके से प्रतिभावानों को रोजगार मिल सकेगा तथा उनकी हक मारी नहीं की जा सकेगी। इन लोगों का कहना था कि अभी जारी व्यवस्था में अनिश्चितता के माहौल में परीक्षार्थियों को आर्थिक संकट के अलावा कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ती है।
बिहार के एक छात्र नीरज बताते हैं कि मुझे इस बात की खुशी है कि अब सरकारी नौकरी के लिए न तो अलग-अलग फॉर्म भरना होगा और ना ही परीक्षा देने के लिए कष्टदायक यात्रा करनी पड़ेगी। अब खर्च भी कम होगा और परेशानी भी नहीं उठानी पड़ेगी। इसी तरह एक अन्य छात्र गौरव कहते हैं कि अब परीक्षार्थियों को प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा जैसे कई बोझिल चरणों का सामना नहीं करना पड़ेगा। अभी तो एक ही तारीख में कई परीक्षा होने से हमारी परीक्षाएं भी छुटती है और पैसे भी बेकार हो जाते हैं। अब कम समय में परीक्षा परिणाम मिलेंगे।
सरकार ने बहुत ही उपयोगी निर्णय लिया
शिक्षाविद प्रोफेसर विजय कुमार दास का कहना है कि केंद्र सरकार ने बहुत ही उपयोगी निर्णय लिया है परीक्षार्थियों को बार-बार की परीक्षा से अब छुटकारा मिलेगा। वे कहते हैं कि क्षेत्रीय भाषा में परीक्षा के आयोजन का निर्णय इन भाषाओं को पुनर्जीवित करेंगी। इसके जरिए संस्कृति और इसके छोटे केंद्र जीवित रहेंगे। साथ ही क्षेत्रीय भाषा के जरिए अवसर से वंचित प्रतिभाओं को आगे आने का मौका मिलेगा। इनका सुझाव है कि इसके दायरे को और बढ़ाया जाना चाहिए ताकि गैर सरकारी संस्थानों में भी एनआरए द्वारा आयोजित परीक्षा में सफल प्रतिभागियों को इसके आधार पर ही रोजगार मिल सके। कई अभिभावकों ने जिनमें खासतौर पर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के हैं, उनका मानना है कि वाकई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने गरीब तबके के प्रतिभावान छात्र छात्राओं के लिए एक उपयोगी निर्णय लिया है, जो इनके लिए वरदान साबित होगा। साथ ही कोरोनावायरस से रोजगार को लेकर छाई मायूसी के बादल भी हटेंगे।
निष्कर्षः नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी के गठन का केंद्र सरकार का निर्णय सराहनीय और उपयोगी है तथा जब इसकी परीक्षा प्रक्रिया शुरू होगी और इसके पहले परिणाम आएंगे, तो निश्चित रूप से यह यात्रा लाखों परीक्षार्थियों के लिए एक सुखद शुरुआत मानी जाएगी। यह समेकित सोच सभी वर्ग के लोगों की प्रतिक्रियाओं से निकल कर आती है। देश में युवाओं की भीड़ किसी भी परीक्षा के आयोजन पर जब दिखती है, तो सबके मन में खासकर ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले को चिंतित कर देती है। मन में एक ही सवाल – क्या हमें इस भीड़ में नौकरी मिल सकेगी? यह सवाल जटिल परीक्षा प्रक्रिया, पारदर्शी व्यवस्था का अभाव सहित अन्य कई कारणों से अनियमितता की शिकायत की वजह से उठती रही है। नौकरी के लिए कई जगह फॉर्म भरना, उसके लिए पैसे खर्च करना, फिर ट्रेन में तकलीफदेह सफ़र के जरिये परीक्षा देने केंद्र पर जाना। लेकिन परिणाम में विलंब और खुद के लिए अनिश्चित संभावना। यदि सफल नहीं हुए तो फिर से वही प्रयास और उसी अंदाज में निश्चित रूप से हमारे प्रतिभा संपन्न परीक्षार्थियों की उम्मीद और उनके हौसले को तोड़ते रहे हैं। अब इन तकलीफों को ध्यान में रखकर नई व्यवस्था में किए गए परिणाम पर गौर करें तो युवाओं की उम्मीद के फिर से जवान न होने की और अपने लिए रोजगार से संबंधित अच्छी संभावना को लेकर उनके उत्साहित नहीं होने का कोई कारण नहीं बनता।
आर्थिक बोझ समेत कई परेशानियों से मिलेगी निजात
केंद्र सरकार के निर्णय से जितना उत्साह और संतोष का भाव शहरी क्षेत्रों में है, उससे कहीं अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में है।आर्थिक अभाव में बहुत मुश्किल से शिक्षा ग्रहण करने वाले युवक और युवतियों के मन में विश्वास मजबूत हुआ है। वे मानते हैं कि परीक्षा के लिए अच्छी तैयारी और इसके लिए एक मजबूत कोशिश ही उनके लिए कई संभावनाओं के द्वार खोल सकती है। अब जटिल प्रक्रिया के समाप्त होने से सरकार को भी आर्थिक बोझ सहित अन्य कई परेशानियों से निजात मिलेगी। वहीं यह आधार राज्य सरकारों और निजी संस्थानों के लिए भी सरल तरीके से योग्य उम्मीदवार की सहज उपलब्धता करा देंगे। अच्छे परिणाम की उम्मीद के साथ इसका स्वागत किया जाना चाहिए तथा यह भी माना जाना चाहिए कि बेरोजगारी दूर करने में भी यह सार्थक मार्ग प्रशस्त करेगा
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