खनन क्षेत्र के लिए नयी लाइफ

कोविड के बाद की दुनिया के निर्माण के लिए आवश्यक है – धैर्य, दृढ़ता और विज़न; ठीक वही सब कुछ जो प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तित्व की ख़ास बातें हैं। वैश्विक महामारी ने पूरी दुनिया को स्तब्ध कर दिया और जब सम्पूर्ण विश्व इससे निपटने के लिए संघर्ष कर रहा था, तब हमारे प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत के रूप में एक शानदार विज़न की घोषणा की। केंद्रीय खान और कोयला मंत्री के रूप में, मैं अक्सर इस शानदार पहल के लिए अपने मंत्रालय के योगदान की चर्चा करता हूं। हम प्रत्येक जिले से दैनिक रिपोर्ट का संग्रह कर रहे थे और किसी अन्य के साथ नहीं, बल्कि स्वयं प्रधानमंत्री के साथ विस्तृत विचार-विमर्श कर रहे थे। 18 जून, 2020 को कोयले के वाणिज्यिक खनन की नीलामी के लॉन्च के दौरान, जब प्रधानमंत्री मोदी ने कोयले में दशकों से चल रहे लॉकडाउन को खत्म करने की बात कही, तो यह क्षेत्र नए अवतार में आने के लिए पूरी तरह से तैयार था। आगामी महीनों में, खनिज खनन क्षेत्र को फिर से तैयार करने के लिए सरकार ने अपनी मशीनरी को चुस्त-दुरुस्त किया।

रोजगार सृजन के मामले में कृषि क्षेत्र के बाद खनन क्षेत्र दूसरे नम्बर पर

रोजगार सृजन के मामले में कृषि क्षेत्र के बाद खनन क्षेत्र दूसरे नम्बर पर आता है। यह क्षेत्र, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लगभग 1.1 करोड़ लोगों को रोजगार देता है और देश में लगभग 5.5 करोड़ लोगों की आजीविका का निर्वाह करता है। इस क्षेत्र में 1 प्रत्यक्ष नौकरी, रोजगार के 10 अप्रत्यक्ष अवसरों का सृजन करती है। इसी तरह, खनन में 1 प्रतिशत की वृद्धि से औद्योगिक उत्पादन में 1.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जाती है। इस क्षेत्र का महत्व कई गुना बढ़ जाता है, जब हम अन्य संबद्ध क्षेत्रों पर विचार करते हैं, जो अपने अस्तित्व के लिए खनन खेत्र पर निर्भर हैं। इस्पात, एल्यूमीनियम, वाणिज्यिक वाहन, रेल परिवहन, बंदरगाह, पोत परिवहन, बिजली उत्पादन आदि क्षेत्र खनन क्षेत्र से निकटता से जुड़े हुए हैं। इसलिए, खनन क्षेत्र को बढ़ावा देने से इन क्षेत्रों को भी प्रोत्साहन मिलेगा, जो साथ मिलकर राष्ट्र के आर्थिक क्षितिज को उज्ज्वल करेंगे। रोजगार के अवसर पैदा करने में खनन क्षेत्र के दूरगामी महत्व को देखते हुए, मोदी सरकार ने इस क्षेत्र के वर्तमान में जीडीपी में 1.75 प्रतिशत योगदान को बढ़ाकर जीडीपी का 2.5 प्रतिशत करने तथा अगले 7 वर्षों में खनिज उत्पादन में 200 प्रतिशत की वृद्धि करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

राष्ट्रीय भूमि के 17 प्रतिशत से अधिक में खनिज भंडार मौजूद

पिछले शासन-कालों के तहत कई दशकों तक देश का खनिज खनन क्षेत्र रुकावटें झेलता रहा है। खनिज की भारी संभावनाओं के बावजूद, भारत में अब तक केवल 0.25 प्रतिशत भूमि पर ही खनन किया जा रहा है, जबकि राष्ट्रीय भूमि के 17 प्रतिशत से अधिक में खनिज भंडार मौजूद हैं। निवेश को आकर्षित करने में भी यह क्षेत्र अपनी क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाया है। जहाँ खनिज उत्पादन प्रति वर्ष 1.25 लाख करोड़ रुपये का है, वहीं इसका आयात 2.5 लाख करोड़ रुपये का है। यदि कोई शुतुरमुर्ग की तरह अपने सिर को रेत में दबाए हुए है, तो बात अलग है, वरना कोई भी व्यक्ति पिछले 10 महीनों में आर्थिक विकास को एक नई दिशा देने के लिए देश द्वारा किए गए अत्यंत कठिन कार्य को आसानी से समझ सकता है। खनिज खनन एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें विभिन्न सुधार किये गए हैं तथा खान एवं खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2021 इसकी नवीनतम कड़ी है। ये सुधार खनन क्षेत्र को नया लाइफ (एलआईएफई) देंगे, जहाँ ‘एल’ (लॉन्ग टर्म इफ़ेक्ट) का अर्थ है – दीर्घकालिक प्रभाव; ‘आई’ (इमीडियेट बूस्ट टू मिनरल प्रोडक्शन) का मतलब है -खनिज उत्पादन को तत्काल बढ़ावा देना; ‘एफ’ (फोकस ऑन पब्लिक वेलफेयर) का अर्थ है – लोक कल्याण पर विशेष ध्यान तथा ‘ई’ (ईज ऑफ डूइंग बिजनेस) अर्थात कारोबार में आसानी के लिए है।

खनन से संबंधित विरासत के मुकदमे एक बाधा

हमने देखा है कि संसाधनों की उच्च गुणवत्ता से युक्त खनन ब्लॉकों को कई वर्षों तक उत्पादन में नहीं लाया गया, जिसके परिणामस्वरूप मूल्यवान राष्ट्रीय खनिज संसाधनों का क्षमता के अनुरूप उपयोग नहीं हो पाया। इनमें से ज्यादातर ब्लॉक, विरासत के मुकदमों के कारण बंद पड़े हैं। खनन से संबंधित विरासत के मुकदमे एक बाधा बन गए हैं, क्योंकि अनुदान देने की समय-अवधि के पहले ही खत्म होने की वजह से ऐसे मामलों को न तो पट्टे पर दिया जा सकता है और कानूनी गतिरोध के कारण न ही उन्हें नीलामी प्रक्रिया में लाया जा सकता है। हमने पारदर्शी नीलामी तंत्र के माध्यम से ऐसे खनिज ब्लॉकों के पुन: आवंटन के मौजूदा प्रावधान में संशोधन किया है। इसी प्रकार, यदि नीलाम किये गए खानों में 3 साल तक खनन कार्य शुरू नहीं होता है, तो खानों को पुन: आवंटन के लिए संबंधित राज्यों को वापस दे दिया जाएगा। इसी तरह, पीएसयू को आवंटित ग्रीनफील्ड खानों में उत्पादन-कार्य शुरू नहीं होता है, तो इन खानों की भी समीक्षा की जाएगी और इन्हें नीलामी के लिए राज्य सरकारों को वापस दे दिया जाएगा। ऐसे खनिज ब्लॉक, जिनका उपयोग नहीं किया जा रहा है, को उत्पादन में लाने से रोजगार के बड़े अवसर पैदा होंगे और इन खनन क्षेत्रों का विकास होगा।

खनिज ब्लॉक की नीलामी में सभी के लिए समान अवसर

एक प्रमुख सुधार है – नए पट्टाधारक को सभी उचित अधिकार, अनुमोदन, मंजूरी, लाइसेंस आदि हस्तांतरित करना, जो खान में खनिज भंडार के समाप्त होने तक वैध रहेंगे। इससे पट्टाधारक को अपना खदान दूसरी इकाई को हस्तांतरित करने की सुविधा मिलेगी, जिससे खदान के संचालन में नया निवेश और नयी उद्यमिता आएगी। 2015 से, 143 खनिज ब्लॉकों के भूवैज्ञानिक रिपोर्ट विभिन्न राज्यों को सौंप दिए गए हैं। ये ब्लॉक नीलामी के लिए तैयार हैं, लेकिन अभी तक राज्यों द्वारा केवल 7 ब्लॉकों की नीलामी की जा सकी है। राष्ट्र के विकास के लिए राष्ट्रीय खनिज संपदा के सर्वोत्तम उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रावधान किये गए हैं, जिसके तहत केंद्र सरकार, राज्य सरकार के परामर्श से नीलामी का संचालन कर सकती है, जहां राज्य सरकारें चुनौतियों का सामना कर रही हैं या नीलामी करने में असफल रहती हैं।
लंबे समय से आरक्षित और गैर- आरक्षित खानों के बीच के अंतर को दूर करने की मांग चली आ रही थी। हमें पता था कि यह वैसा ही है, जैसे दौड़ में भाग लेना हो और आपका एक पैर बंधा हुआ हो। अब इस तरह का कोई विभेद नहीं है, इसलिए खनिज ब्लॉक की नीलामी में सभी के लिए समान अवसर होंगे। इसके अलावा, मौजूदा आरक्षित खानों को भी अपनी आवश्यकता से अधिक खनिज को बेचने की अनुमति दी गई है। निर्धारित तिथि से पहले उत्पादन किये गए और परिवहन में भेजे गए खनिज की मात्रा के लिए राजस्व हिस्सेदारी में 50 प्रतिशत की छूट भी दी गई है।

रोजगार के लगभग 55 लाख अवसरों के सृजन का मार्ग प्रशस्त होगा

यह संशोधन अधिनियम संभावित लाइसेंस-सह-खनन पट्टे के सन्दर्भ में आंशिक रूप से संचालित खनिज ब्लॉकों की नीलामी के लिए आवश्यक अन्वेषण-मानकों को फिर से परिभाषित करेगा। यह अन्वेषण से उत्पादन में सहज बदलाव को बढ़ावा देगा और निजी कम्पनियों की भागीदारी को प्रोत्साहित करेगा। अधिनियम में संशोधित प्रावधान ‘वैध प्राधिकरण के बिना खनन’ को सुस्पष्ट करते हैं, जिससे पट्टाधारकों को अन्य मुकदमों के तहत अनुचित दंड से बचाने में मदद मिलेगी। हम डीएमएफ को और अधिक परिणाम-उन्मुख बनाने के लिए स्थानीय संसद सदस्यों को जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) गवर्निंग काउंसिल का सदस्य बनाकर लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा कर रहे हैं। डीएमएफ निधियों के दुरुपयोग पर रोक लगाने की भी व्यवस्था की गई है, ताकि खनन से प्रभावित लोगों का समावेशी विकास सुनिश्चित किया जा सके।
एमएमडीआर अधिनियम में कई अन्य बदलाव किये गए हैं, जो खनिज खनन क्षेत्र में कारोबार सुगमता को बढ़ावा देंगे और इसे अधिक प्रतिस्पर्धी और उत्पादक बनाएंगे। एमएमडीआर संशोधन अधिनियम, 2021 से रोजगार के लगभग 55 लाख अवसरों के सृजन का मार्ग प्रशस्त होगा और कई अन्य क्षेत्रों पर भी गुणक प्रभाव पड़ेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने यह सुनिश्चित किया है कि खनिज खनन क्षेत्र, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख स्तम्भ होने की अपनी वास्तविक भूमिका निभाने में सफल हो। कई बैठकों में उन्होंने योजना की दृष्टि को सामने रखा है, जिसमें इस तथ्य को रेखांकित किया गया है कि खनन क्षेत्र, संबद्ध उद्योगों के साथ देश को 5 बिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए विकास-पथ पर निरंतर आगे बढ़ेगा। मुझे खुशी है कि ये संशोधन उनकी दृष्टि के अनुरूप हैं और मैं आश्वस्त हूँ कि हमें, न्यू इंडिया के रूप में पारिभाषित करने में यह क्षेत्र प्रमुख भूमिका निभाएगा।

(लेखक: प्रल्हाद जोशी, भारत सरकार के कोयला, खान और संसदीय कार्य मंत्री हैं)