लॉकडाउन व्याख्यान श्रृंखला 5 में बोले प्रोफेसर पुलीन बी० नायक,सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आयाम को ध्यान में रखते हो नीतियों का निर्माण

रविवार को अर्थशास्त्र विभाग और आ०इक्यू०ए०सी०, कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस, इकोनामिक एसोसिएशन ऑफ़ बिहार और इंडियन इकोनामिक एसोसिएशन के सहयोग के साथ लॉकडाउन व्याख्यान श्रृंखला 5 का आयोजन किया। इस व्याख्यान का विषय “भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 का प्रभाव” था।

भारतीय अर्थव्यवस्था में आय और संपत्ति में असमानता

नई दिल्ली के दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, के प्रोफेसर पुलीन बी० नायक जो आज के प्रमुख वक्ता थे, उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में आय और संपत्ति में असमानता है। उन्होंने पिछले 25 वर्षों के जीडीपी वृद्धि दर को ध्यान में रखते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पहले से ही अप्रत्याशित गिरते हुए जीडीपी वृद्धि दर से प्रभावित था। और कोविड-19 के कारण आय असमानता और भी गहरी हो गई है। किसी भी समस्या के समाधान के लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक आयाम को ध्यान में रखते हुए ही नीतियों का निर्माण होना चाहिए। इस संदर्भ में उन्होंने बहुत से अर्थशास्त्रियों के नाम लिये जिसमें एडम स्मिथ, कार्ल मार्क्स, शूम्पीटर इत्यादि उल्लेखनीय हैं।

अधिक होनी चाहिए सरकारी व्यय की मात्रा

उन्होंने जे० एम० कींस को आधुनिक पूंजीवाद का जनक माना और कहा कि सरकारी व्यय की मात्रा अधिक होनी चाहिए। स्वास्थ्य क्षेत्र में बीमा को उन्होंने अपनी सहमति नहीं दी। उनके अनुसार लोगों के मानसिक विचारों में परिवर्तन लाना होगा। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के संभावित वृद्धि पथ पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था के पुनः प्रवर्तन में समय लगेगा क्योंकि जीडीपी वृद्धि दर ऋणात्मक अनुमानित है जन वितरण प्रणाली, स्वास्थ्य और शिक्षा को हमें सशक्त करना होगा।

डॉ० (प्रो०) तपन कुमार शांडिल्य,
पूर्व कुलपति, नालंदा खुला विश्वविद्यालय, पटना।
प्राचार्य, कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस, पटना

पूंजी पतियों को भी गरीबों एवं मजदूरों के साथ खड़े रहने की आवश्यकता: डॉ० शांडिल्य

इस व्याख्यान श्रृंखला में कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस, पटना के प्रधानाचार्य, प्रोफेसर डॉ० तपन कुमार शांडिल्य, ने अपने उद्घाटन भाषण में सबों का स्वागत किया और कहा कि कोरोना महामारी ने दुनिया की अर्थव्यवस्था को जड़ से हिला दिया है। स्पष्ट है कि इससे सबसे ज्यादा असर गरीबों एवं मजदूरों पर पड़ा है। सरकार के साथ-साथ पूंजी पतियों को भी गरीबों एवं मजदूरों के साथ खड़े रहने की आवश्यकता है।

हमें नए रोजगारों का सृजन करना होगा : प्रोफेसर सोमरा

प्रोफेसर एस० एस० सोमरा,राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के अर्थशास्त्र विभाग, के प्रोफेसर एस० एस० सोमरा ने अपने भाषण में विषय प्रवेश करते हुए कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए हमें नए रोजगारों का सृजन करना होगा। उन्होंने आगे कहा की प्रवासी मजदूरों की दयनीय स्थिति को देखते हुए सरकार के साथ-साथ नागरिकों को भी अपनी सहभागिता दिखानी चाहिए।

खुले सत्र में उपस्थित विद्यार्थियों और शिक्षकों ने अपने प्रश्नों से इस श्रृंखला को और भी रोचक बना दिया। जिससे पता चलता है कि इस विषय का विभिन्न दृष्टिकोण से विश्लेषण किया जा सकता है।

प्रोफेसर एस० नारायण, समन्वयक, इंडियन इकोनामिक एसोसिएशन और प्रोफेसर डी० जी० वैष्णव कॉलेज, चेन्नई ने अपने अवलोकन और समन्वित टिप्पणी में प्रोफेसर नायक के ओजसपूर्ण व्याख्यान की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने अपने व्याख्यान में क्लासिकल सिद्धांतों से लेकर आधुनिक सिद्धांतों की चर्चा की। उन्होंने सेक्टोरल जीडीपी, ग्लोबल इकोनामिक क्राइसिस, डिमॉनेटाइजेशन, माइग्रेंट इश्यूज की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह व्याख्यान श्रृंखला बहुत ही जानकारी पूर्ण एवं परस्पर संवादात्मक था।

प्रोफेसर अनिल कुमार ठाकुर ने डाला,मुख्य बिंदु पर प्रकाश

प्रोफेसर अनिल कुमार ठाकुर, (सचिव, इकोनामिक एसोसिएशन ऑफ बिहार और पूर्व सचिव, इंडियन इकोनामिक एसोसिएशन) ने इस श्रृंखला के मुख्य बिंदु पर प्रकाश डालते हुए प्रोफेसर पुलीन को अपना सहयोग देने के लिए अपनी कृतज्ञता दिखाई।

प्रोफेसर रश्मि अखौरी, अध्यक्ष, अर्थशास्त्र विभाग ने मुख्य वक्ता प्रोफेसर पुलिन बी० नायक के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने ने कहा कि संगठनात्मक और चक्रीय मुद्दे ने अर्थशास्त्र को इस प्रकार से प्रभावित कर दिया है कि अर्थव्यवस्था के सामान्य वृद्धि दर के लिए लघु अवधि और वृहत् अवधि के उपायों की आवश्यकता है।

प्रोफेसर संजय कुमार ने किया संचालन

इस व्याख्यान श्रृंखला का संचालन प्रोफेसर संजय कुमार पांडे, (अर्थशास्त्र विभाग, कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस, पटना) ने किया। इस व्याख्यान श्रृंखला में अर्थशास्त्र विभाग के सभी शिक्षक प्रोफेसर उमेश प्रसाद, प्रोफेसर प्रवीण कुमार, प्रोफ़ेसर के० एन० यादव, प्रोफेसर प्रवीण कुमार, प्रोफेसर रमेश चौधरी, प्रोफेसर मृदुला कुमारी, प्रोफेसर विवेक कुमार, प्रोफेसर संगीता कुमारी, प्रोफेसर बैकुंठ राय, और आइ०क्यू०ए०सी० के समन्वयक प्रोफेसर संतोष कुमार भी उपस्थित थे।

प्रोफेसर संतोष कुमार ने किया धन्यवाद ज्ञापन

इस व्याख्यान श्रृंखला की समाप्ति की घोषणा प्रोफेसर संतोष कुमार के धन्यवाद ज्ञापन से की गई। विभिन्न विभाग के शिक्षकों और विभिन्न अतिथियों की सहभागिता ने इस व्याख्यान श्रृंखला को सफल बनाया। विभिन्न विभागों के विद्यार्थियों ने अपनी सहभागिता से इस व्याख्यान श्रृंखला का लाभ उठाया।